भारत और UK के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को लेकर 13 जनवरी 2022 से बातचीत चल रही थी।
भारत ने बाइलैटरल रिलेशन्स को बढ़ावा देने के लिए यूनाइटेड किंगडम (UK) के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) साइन किया। इसके साथ ही दोनों देशों ने डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन पर भी सहमति जताई। इस एग्रिमेंट से भारत में UK की लग्जरी कारें, ब्रांडेड कपड़े और फुटवियर सस्ते हो सकते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, ‘अपने दोस्त प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर से बात करके बहुत खुशी हुई। एक ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में भारत और ब्रिटेन ने फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के साथ-साथ डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन को भी सक्सेसफुली पूरा किया है।
ये ऐतिहासिक एग्रीमेंट हमारी स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप को और गहरा करेंगे। इसके अलावा ये दोनों इकोनॉमीज में ट्रेड, इन्वेस्टमेंट, ग्रोथ, जॉब क्रिएशन और इनोवेशन को बढ़ावा देंगे। मैं जल्द ही प्रधानमंत्री स्टार्मर का भारत में स्वागत करने के लिए उत्सुक हूं।’
दोनों देशों के बीच FTA से ये सामान सस्ते हो सकते हैं-
भारत-UK के बीच एग्रीमेंट को लेकर बातचीत 2022 में शुरू हुई थी
भारत और UK के बीच एग्रीमेंट को लेकर बातचीत 13 जनवरी 2022 को शुरू हुई थी, जो अब करीब 3.5 साल बाद पूरी हुई है। 24 फरवरी को कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मिनिस्टर पीयूष गोयल और UK के बिजनेस एंड ट्रेड सेक्रेटरी जोनाथन रेनॉल्ड्स ने दोनों देशों के बीच प्रस्तावित FTA के लिए बातचीत फिर से शुरू करने का ऐलान किया था।
2014 से भारत ने मॉरीशस, UAE, ऑस्ट्रेलिया और EFTA (यूरोपियन फ्री ट्रेड एसोसिएशन) के साथ 3 ऐसे फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स पर हस्ताक्षर किए हैं। भारत यूरोपियन यूनियन (EU) के साथ इसी तरह के समझौतों पर एक्टिवली बातचीत कर रहा है।
डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन क्या होता है ?
जब कोई व्यक्ति या कर्मचारी एक देश से दूसरे देश में काम करने जाता है, तो आमतौर पर उसे दोनों देशों में सोशल सिक्योरिटी (जैसे पेंशन, पीएफ, आदि) के लिए योगदान देना पड़ सकता है। इससे उसकी सैलरी पर दो बार कटौती होती है – एक अपने देश में और एक उस देश में जहां वह काम कर रहा है।
डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन एक ऐसा समझौता है जो दो देशों के बीच होता है। इससे विदेश में काम करने वाले लोगों और कंपनियों को एक ही समय में दो देशों में सोशल सिक्योरिटी (जैसे पेंशन, पीएफ, आदि) के लिए पैसा नहीं देना पड़ता। इससे कर्मचारियों और कंपनियों दोनों को फायदा होता है और उनकी सैलरी से डबल कटौती नहीं होती।
दो तरह से काम करता है डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन
कितने टाइप के होते हैं ट्रेड एग्रीमेंट्स?
फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स को उसके नेचर के हिसाब से अलग-अलग नाम दिए जाते हैं। इनमें PTA (प्रेफरेंशियल), RTA (रीजनल) और BTA (बाइलेटरल) शामिल हैं। WTO इस तरह के सभी इकोनॉमिक इंगेजमेंट्स को RTA नाम देता है। PTA में कुछ वस्तुओं को ड्यूटी फ्री (भारत-थाईलैंड) कर दिया जाता है।
वहीं CECA (कंप्रिहेंसिव इकोनॉमिक कॉर्पोरेशन एग्रीमेंट) या CEPA (कंप्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट- भारत-कोरिया, जापान) या TEPA (ट्रेड एंड इकोनॉमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट)-इनका दायरा ज्यादा होता है।
भारत ने किन देशों के साथ इन समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं?
भारत ने श्रीलंका, भूटान, थाईलैंड, सिंगापुर, मलेशिया, कोरिया, जापान, ऑस्ट्रेलिया, यूएई, मॉरीशस, ASEAN और EFTA ब्लॉक्स के साथ ट्रेड एग्रीमेंट्स किए हैं।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुसार, एशिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के साथ डील हासिल करने के बाद भारत ने अपना FTA फोकस ईस्ट (ASEAN, जापान, कोरिया) से वेस्टर्न पार्टनर्स की ओर शिफ्ट कर दिया है।
भारत अब एक्सपोर्ट्स का विस्तार करने और वेस्ट की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से व्यापार संबंधों को मजबूत करने के लिए EU और US के साथ FTA को प्राथमिकता दे रहा है।
FTA से भारत को मर्चेंडाइज ट्रेड में क्या फायदा होगा?
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