शशि शेखर ने भी ऐसा ही किया और 22 लाख सालाना की नौकरी छोड़कर अपनी पूरी जमा पूंजी लगाकर फुटवियर यूनिट खोलने का जोखिम उठाया. उनका फैसला सही साबित हुआ और आज वे खुद तो अच्छा कमा ही रहे हैं, साथ ही कई लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं.
हर महीने मिल रहे 5 लाख तक के ऑर्डर
शशि ने मणिपाल इंस्टीट्यूट से बीटेक और चन्द्रगुप्त प्रबंधन संस्थान पटना से एमबीए किया है. इसके बाद टाटा एडवांस्ड सिस्टम लिमिटेड के हैदराबाद और बेंगलुरू कैंपस में 6 साल तक 22 लाख के पैकेज पर नौकरी की. फिर इन सबको छोड़कर अपना फुटवियर स्टार्टअप शुरू किया. शशि ने सकड्डी में फुटवियर की फैक्ट्री लगाई है. शशि बताते हैं कि शुरुआत में कुछ दिक्कतें आई थीं, लेकिन अब सब कुछ धीरे-धीरे पटरी पर आ रहा है. फिलहाल हाजीपुर, पटना, जहानाबाद समेत कई हिस्सों से ऑर्डर आ रहे हैं. कुछ कंपनियों के ऑर्डर भी आए हैं, जिनमें अधिकतर ऑनलाइन शॉपिंग वाली कंपनियां हैं. अभी फिलहाल प्रति महीने 3 से 5 लाख रुपये के ऑर्डर आ रहे हैं, जिन्हें पूरा कर भेजा जा रहा है.
1200 रूपए तक के बनाते हैं लेदर और रेक्जीन के फुटवियर
शशि बताते हैं कि कंपनियां जैसा ऑर्डर देती है, उस हिसाब से माल तैयार कर दिया जाता है. फिलहाल मुख्य रूप से लेदर और रेक्जीन के फुटवियर तैयार किए जा रहे हैं. इनकी कीमत 150 रुपये से 1200 रुपये तक है. इनमें आधुनिक और पारंपरिक स्टाइल के लेडीज और जेंट्स चप्पल, सैंडल और जूते शामिल हैं. शशि ने इसी वर्ष जनवरी से उत्पादन शुरू किया है. वे बताते हैं कि फुटवियर सेक्टर में बिहार में बहुत संभावनाएं हैं. यहां सस्ती दर पर कच्चा माल और कारीगर उपलब्ध है, लेकिन नए उद्यमी इस सेक्टर में आने से कतराते हैं. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि अगर सरकार नए उद्यमियों और स्टार्टअप्स को सहयोग करे, तो युवा पीढ़ी उद्योग धंधे की ओर दिलचस्पी ले सकती है.
क्वालिटी पर रहता है विशेष फोकस
शशि ने बताया कि जो स्टार्टअप शुरू किया है, उसका नाम हेपाडिजाइन है. वे बताते हैं कि हम क्वालिटी से कोई समझौता नहीं कर रहे. शशि की फैक्ट्री में 25 कुशल कारीगर हैं, जो पहले कई नामी-गिरामी कंपनियों में काम करते थे. कारीगरों को स्थानीय स्तर पर काम मिल गया है और शशि को सस्ते दरों पर कारीगर मिल गए हैं. मैन्युफैक्चरिंग की प्रक्रिया के दौरान हर स्तर पर मजबूती और क्वालिटी का ध्यान रखा जाता है. इसके लिए कई उच्चस्तरीय मशीनें लगाई गई हैं. उत्पादों की बेहतर क्वालिटी के लिए प्लांट में विभिन्न प्रकार की लगभग 40 लाख रुपये की मशीनें लगी हैं. एक फुटवियर बनाने में उसे कई प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है.
इस इकाई से प्रति महीने विभिन्न प्रकार के 10,000 फुटवियर तैयार होते हैं. शशि बताते हैं कि दिक्कतें कई हैं, यहां बिजली की समस्या है. यह समस्या दूर हो जाए तो लागत कुछ हद तक घट जाएगी और उत्पादन भी बढ़ जाएगा. स्थानीय स्तर पर थोक व्यापार नहीं हो सकता, इसलिए हमारा फोकस थोक व्यापारी और ऑनलाइन सेलिंग कंपनियों पर है.
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