विपक्ष के नेता पीटर डटन अपनी सीट भी नहीं बचा पाए. उन्हें लेबर पार्टी की उम्मीदवार अली फ्रांस ने हरा दिया. चुनाव के नतीजे आने के बाद डटन ने अपनी हार मान ली और अल्बनीज को फोन करके बधाई दी. अगर लेबर पार्टी को बहुमत मिलता है, तो अल्बनीज ही प्रधानमंत्री रहेंगे. वे अपनी पार्टी के नए सदस्यों में से मंत्रियों को चुनेंगे.
PM मोदी ने दी बधाई
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अल्बनीज को X पर पोस्ट कर बधाई दी है. पीएम मोदी ने अपने पोस्ट में लिखा, ‘एंथनी अल्बनीज़ को उनकी शानदार जीत और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री के रूप में फिर से चुने जाने पर बधाई! यह जबरदस्त जनादेश आपके नेतृत्व में ऑस्ट्रेलियाई लोगों के अटूट विश्वास को दर्शाता है. मैं भारत-ऑस्ट्रेलिया व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करने और इंडो-पैसिफिक में शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए हमारे साझा दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के लिए साथ मिलकर काम करने के लिए उत्सुक हूं.’
कौन हैं अल्बनीज?
अब बात करते हैं एंथनी अल्बनीज की. उन्हें लोग प्यार से ‘अल्बो’ भी कहते हैं. वे 2004 के बाद पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने लगातार दो चुनाव जीते हैं. 61 साल के अल्बनीज को कुत्तों से बहुत प्यार है. वे साधारण परिवार से आते हैं और उनका अंदाज काफी सहज रहता है. स्थानीय मीडिया ने भी मान लिया है कि अल्बनीज और उनकी लेबर पार्टी चुनाव जीत गई है. शुरुआती नतीजों से पता चलता है कि लोगों ने लेबर पार्टी को खूब वोट दिया है.
बचपन रहा मुश्किलों भरा
अल्बनीज का बचपन मुश्किलों भरा रहा. उनका जन्म मार्च 1963 में हुआ था. उनकी मां अकेली थीं और उन्हें पेंशन पर गुजारा करना पड़ता था. वे सिडनी में सरकारी घर में रहते थे. दिलचस्प बात यह है कि उन्हें बचपन में बताया गया था कि उनके पिता मर चुके हैं. लेकिन किशोरावस्था में उन्हें पता चला कि उनकी मां शादीशुदा आदमी से गर्भवती हुई थीं जो शायद अभी भी जिंदा थे. तीस साल बाद उन्होंने अपने पिता कार्लो अल्बनीज को ढूंढा और उनसे मिलने इटली गए.
कैसे थामा सियासत का दामन?
लेकिन अल्बनीज मानते हैं कि उनकी मां के साथ बिताए शुरुआती सालों ने उन्हें वह इंसान बनाया जो वे आज हैं. वे अपने परिवार में हाई स्कूल पास करने वाले पहले व्यक्ति थे और उन्होंने सिडनी यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में डिग्री हासिल की. उनका राजनीति से पहला नाता यूनिवर्सिटी में जुड़ा जहां वे छात्र परिषद में शामिल हुए. इसके बाद उन्होंने लेबर पार्टी के मंत्री टॉम उरेन के साथ काम किया और फिर एनएसडब्ल्यू लेबर के सहायक महासचिव बने.
अल्बो को लोग ‘छोटी-छोटी बातों पर ज्यादा ध्यान न देने वाला’ मानते हैं, जो एक नेता के लिए अच्छी बात है. वे पार्टियों और चुनावी कार्यक्रमों में ‘डीजे अल्बो’ के नाम से गाने भी बजाते हैं. ऑस्ट्रेलियाई टीवी पर भी वे अक्सर अपने प्यारे कुत्ते ‘टोतो’ के साथ दिखाई देते हैं. 1996 में अपने 33वें जन्मदिन पर अल्बनीज पहली बार संसद के लिए चुने गए. तब से वे लगातार सांसद हैं और ऑस्ट्रेलिया के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले सांसदों में से एक हैं. उन्होंने लगभग 30 साल तक सिडनी की सीट का प्रतिनिधित्व किया है.
2007 में जब लेबर पार्टी सत्ता में आई तो अल्बनीज बड़े मंत्री बने और पार्टी के नेताओं को बदलने में उनकी अहम भूमिका रही. उन्होंने केविन रड को हटाकर जूलिया गिलार्ड को प्रधानमंत्री बनवाया और फिर वापस केविन रड को लाए. केविन रड के दूसरे छोटे कार्यकाल में वे उप-प्रधानमंत्री भी रहे. 2013 में उन्होंने विपक्ष के नेता के लिए चुनाव लड़ा.
2019 में जब लेबर पार्टी अप्रत्याशित रूप से चुनाव हार गई तो उन्होंने निराश पार्टी का नेतृत्व किया. लेकिन अल्बनीज ने हार नहीं मानी और अपना काम जारी रखा. आखिरकार 2022 में उन्होंने देश का सबसे बड़ा पद जीत लिया और लिबरल-नेशनल गठबंधन के दस साल के शासन को खत्म कर दिया.
राजस्थान लोक सेवा आयोग की ओर से राजस्थान राज्य एवं अधीनस्थ सेवाएं भर्ती-2023 के अन्तर्गत…
नैनीताल: उत्तराखंड में नैनीताल की खूबसूरत वादियों के बीच हल्द्वानी-रामनगर हाईवे पर एक ऐसी चाय…
पाकिस्तान से एक चौंकाने वाला वीडियो सामने आया है, जिसमें पुलिस और सेना के जवानों…
स्पोर्ट्स डेस्क2 मिनट पहलेकॉपी लिंकरॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) ने शनिवार को इंडियन प्रीमियर लीग (IPL…
Last Updated:May 04, 2025, 09:27 ISTDewald Brevis DRS drama Ravindra Jadeja: डेवाल्ड ब्रेविस के आउट…
Pakistan Violates Ceasefire at LoC: जम्मू-कश्मीर के नियंत्रण रेखा (LoC) पर पाकिस्तानी सेना की तरफ…