1 मई को दुनियाभर में ‘अंतर्राष्ट्रीय लेबर्स डे’ मनाया गया। इस साल इसकी थीम ‘रिवोल्यूशनाइजिंग हेल्थ एंड सेफ्टी- द रोल ऑफ AI एंड डिजिटलाइजेशन एट वर्क’ है।
काम के लंबे घंटे, ब्रेक लेने की आजादी न होना और किसी भी अनर्गल बात पर सैलरी कट जाना। दुनियाभर के मजदूरों की लंबी लड़ाई के बाद हमें इससे आजादी मिली।
8 घंटे की शिफ्ट की मांग को लेकर दुनियाभर में प्रदर्शन हुए और इस क्रम में कई लोगों को जान भी गंवानी पड़ी।
क्रांति के बाद मिली 8 घंटे की शिफ्ट
8 घंटे की शिफ्ट के कॉन्सेप्ट को असलियत में बदलने की क्रांति में कई लोगों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी। इंडस्ट्रियल रिवोल्यूशन के दिनों में लोग 12-13 घंटे काम किया करते थे। हफ्ते में एक दिन भी आराम का नहीं था। यहां तक की बच्चे भी इन हालातों में काम करने को मजबूर थे।
न तो काम के घंटे तय थे और न ही काम करने की उम्र। छोटे बच्चों को भी व्यस्क जितना ही काम करना पड़ता था। इसमें न तो सुरक्षा का इंतजाम था और न ही आराम का।
मजदूरों ने लड़ाई लड़ी, यूनियन बनाईं। कई बार लड़ाई शांतिपूर्वक थी तो कई बार हिंसक।
भारत में भी 1920 के दशक में फैक्ट्रियों और बागानों में काम करने वाले मजदूरों ने अपने हकों के लिए आवाज उठानी शुरू की। भारत में ‘द फैक्ट्रीज एक्ट, 1948’ पास किया गया। इससे भारतीय मजदूरों को कानूनी सहायता और 8 घंटे की शिफ्ट मिली।
1920 के दशक में भारतीय मजदूरों ने भी बेहतर वर्किंग कंडीशंस के लिए प्रदर्शन करना शुरू किया।
डिजिटल एज में गायब हो रही 8 घंटे की डेडलाइन
जनवरी में L&T के चेयरमैन ने कहा कि कर्मचारियों को हफ्ते में 90 घंटे काम करना चाहिए। इसका मतलब है 6 डे वर्किंग के हिसाब से हर दिन 15 घंटे काम। इनसे पहले इन्फोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति कह चुके हैं कि सभी को हफ्ते में 70 घंटे यानी दिन में कम से कम 11 घंटे काम करना चाहिए।
फैक्ट्रियों से काम लैपटॉप पर शिफ्ट हो रहा है और इसी के साथ शिफ्ट हो रही है 8 घंटे की। कॉर्पोरेट कल्चर में कर्मचारी सोशल मीडिया पर खुद को ‘कॉर्पोरेट मजदूर’ कह रहे हैं। कर्मचारियों का कहना है कि पसीने भरी फैक्ट्री और फिजिकल लेबर की जगह अब एसी वाले ऑफिस और फॉर्मल वियर ने जरूर ले ली है लेकिन वर्किंग कंडीशंस खराब हो गई हैं।
वर्क फ्रॉम होम बिगाड़ रहा वर्क लाइफ बैलेंस
दिल्ली की एक कंपनी में काम कर रही एक प्रोजेक्ट मैनेजर ने कहा, ‘पिछली नौकरी मुझे इसलिए ही छोड़नी पड़ी क्योंकि वर्क लाइफ बैलेंस जैसा वहां कुछ नहीं था। अगर डेडलाइन आ रही है तो चाहे रातभर काम करो या बीमारी में काम करो। कंपनी को कोई फर्क नहीं पड़ता और इस तरह की बहुत सी कंपनियां है जो आपकी मेंटल हेल्थ क्या फिजिकल हेल्थ की भी परवाह नहीं करती।’
एक कंपनी की प्रोजेक्ट मैनेजर मानती हैं कि वर्क फ्रॉम होम की वजह से वर्क लाइफ बैलेंस बिगड़ रहा है।
वो कहती हैं, ‘8 घंटे की शिफ्ट 8 घंटे तक सीमित नहीं रही है। वर्क फ्रॉम होम इसकी एक बड़ी वजह है। इसका फायदा है कि डॉक्टर के पास जाना हो या रिश्तेदारी में कोई इवेंट अटेंड करना हो इसके लिए अलग से छुट्टी नहीं लेनी पड़ेगी। लेकिन इसका एक बड़ा नुकसान भी है। आप ध्यान हीं दे पाते कि कितने घंटे आप काम कर चुके हो। फॉर एग्जाम्पल मैं सुबह 9.30 बजे सोकर उठ रही हूं और पहला काम लॉग इन करने का ही कर रही हूं। इसके बाद दो-तीन मीटिंग्स अटेंड की। 12 बजे लंच ब्रेक लिया, थोड़ा रेस्ट कर लिया। फिर 2 बजे फिर से काम करने बैठ गई। 2-3 घंटे काम करने के बाद मैं जिम चली गई। इसके बाद आकर मैं फिर काम करूंगी क्योंकि मुझे लगेगा कि मैंने दो बड़े-बड़े ब्रेक ले लिए तो मुझे काम खत्म करना चाहिए।’
कॉर्पोरेट में सभी 8 घंटे से ज्यादा काम कर रहे
मुंबई की जॉइन वेंचर्स में असिस्टेंट सोशल मीडिया मैनेजर के तौर पर काम कर रही सुष्मिता सुमन कहती हैं, ‘मुझे लगता है 8 घंटे की शिफ्ट काफी है। लेकिन मैं हर दिन 9-10 घंटे काम करती हूं जिससे काफी थक जाती हूं।’
IT सेक्टर में काम कर रही मानसी सचदेवा बताती हैं, ‘मैं फिलहाल एक बेहतर कंपनी में काम कर रही हैं। यहां हर दिन 6-7 घंटे काम करना होता है। कभी-कभी जब डेड लाइंस नजदीक होती हैं या कोई इमरजेंसी होती है तो 12 घंटे तक भी काम के घंटे खिंच जाते हैं। इससे पहले मैं जिस कंपनी में काम कर रही थी वहां हर दिन 15-16 घंटे काम करना पड़ता था। इसके अलावा छुट्टी या वीकेंड्स पर भी काम करने का प्रेशर रहता है। मेरे हिसाब से दिन में 6 घंटे की वर्किंग बहुत है।’
अलीशा सिन्हा ने बताया कि कंपनी हायरिंग के समय कहती हैं कि 9 घंटे का काम होगा लेकिन असल में ज्यादातर कंपनियां 10-12 घंटे काम करवाती ही हैं।
कंटेंट राइटर अलीशा सिन्हा कहती हैं, ‘8 घंटे के नाम पर कंपनियां 14-15 घंटे तक काम करवा रही हैं। इसके बाद क्योंकि सारा काम ऑनलाइन हो जाता है इसलिए कई बार ऑफिस के बाद या ऑफिस से पहले भी कर्मचारियों से काम करवाया जाता है। न करने से ऐसा नहीं कि सैलरी कटती है। बल्कि ऐसा न करने वालों को फिर प्रमोशन और इंक्रीमेंट के समय छोड़ दिया जाता है। एक्स्ट्रा काम न करने पर आपको ऑफिस में कोई सीरियसली भी नहीं लेता।’
काम के घंटे कम होने से बेहतर होगी प्रोडक्टिविटी
मार्केट रिसर्च एनालिस्ट अतुल यादव मानते हैं कॉर्पोरेट में 4 डे वर्किंग और 6 घंटे की शिफ्ट होनी चाहिए। इससे लोगों को सोचने के लिए स्पेस मिलेगी और प्रोडक्टिविटी बेहतर होगी। इससे कंपनी का ही फायदा होगा।
अतुल कहते हैं कि फिलहाल वो दिन में करीब 10 घंटे काम करते हैं। कंपनियों की एक्सपेक्टेशन एम्प्लॉई से बहुत ज्यादा रहती हैं और हमेशा किसी न किसी चीज की डेडलाइन करीब होती है। इस तरह अक्सर कर्मचारी बर्नआऊट महसूस करते हैं।
सीनियर डेटा एनालिस्ट कुणाल भी मानते हैं कि 4 डे वर्किंग से प्रोडक्टिविटी बढ़ेंगी और काम का स्तर बेहतर हो पाएगा।
आऊटकम से ज्यादा काम के घंटों पर फोकस कर रही कंपनियां
रिसर्च एनालिस्ट अपर्णा सिंह मानती हैं कि अब ज्यादातर कंपनियों को आपके काम से ज्यादा कुछ मतलब नहीं है बल्कि आपसे उम्मीद की जाती है कि काम के घंटों से आप अपनी सैलरी जस्टिफाई करें।
अपर्णा कहती हैं, ‘नॉर्मल दिनों में 4-5 घंटों में मैं अपना काम खत्म कर लेती हूं। लेकिन शिफ्ट 9 घंटे की है तो जल्दी काम करने का कोई मतलब ही नहीं है। इसके अलावा हर दिन 1 घंटा ट्रैवलिंग का भी है। कई कर्मचारी तो 2-3 घंटे ट्रैवल करके ऑफिस पहुंचते हैं। लेकिन कंपनियां उस समय को कंसिडर ही नहीं करतीं।’
ऐसी ही और खबरें पढ़ें…
1. न बैठने के लिए कुर्सी, न बाथरूम जाने की परमिशन:केरल में सेल्स विमेन को ‘बैठने का हक’ दिलाने वाली टेलर-एक्टिविस्ट विजी पालीथोड़ी; जानें पूरी प्रोफाइल
जरा सोचिए आप 9 बजे काम के लिए निकले और लौटने का कोई समय न हो। काम की जगह पर न तो बाथरूम जाने की इजाजत हो और न ही ब्रेक्स के दौरान बैठने की। पूरी खबर पढ़ें…
Last Updated:May 04, 2025, 06:33 ISTअगर आप iPhone 16 Plus खरीदने के बारे में सोच…
Kashmir Viral Video: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में 26…
पटना. 22 अप्रैल 2025 को सोने की कीमतों ने अब तक का ऐतिहासिक रिकॉर्ड बनाया…
Last Updated:May 04, 2025, 06:01 ISTइमरान हाशमी ने हाल ही में 2014 में अपने बेटे…
13 मिनट पहलेकॉपी लिंकWAVES 2025 इवेंट में फिल्ममेकर शेखर कपूर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने कहा…
धर्मशाला स्टेडियम, जहां आज पंजाब किंग्स और लखनऊ सुपर जायंट्स की टीमें आमने-सामने होंगी। धर्मशाला…