पीएम मोदी ने देश को समर्पित किया पहला ट्रांसशिपमेंट हब, जानें ये होता क्या है और इसके क्या फायदे होंगे

Photo:CMO KERALA ट्रांसशिपमेंट हब से देश को क्या होंगे फायदे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को केरल में विझिनजम इंटरनेशनल पोर्ट का आधिकारिक उद्घाटन कर दिया। इस पोर्ट का कमर्शियल ऑपरेशन करीब 5 महीने पहले दिसंबर 2024 में ही शुरू हो गया था। इसी के साथ, केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम के पास स्थित, विझिनजम भारत का पहला डीपवाटर कंटेनर टर्मिनल और देश का पहला ट्रांसशिपमेंट हब बन गया है। ट्रांसशिपमेंट, एक ऐसा बंदरगाह होता है जहां इंटरनेशनल शिपिंग के लिए कार्गो को एक जहाज से दूसरे जहाज में शिफ्ट किया जाता है।

विझिनजम इंटरनेशनल पोर्ट के लिए 20,000 करोड़ रुपये निवेश करेगा अडाणी ग्रुप

8900 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाला विझिनजम प्रोजेक्ट का निर्माण दिसंबर 2015 में शुरू हुआ था और इसे कई स्टेज में डेलवप किया जा रहा है। प्रोजेक्ट का पहला स्टेज पहले से ही चालू है, जबकि बाकी के स्टेज दिसंबर 2028 तक पूरा होने की उम्मीद है। बताते चलें कि केरल सरकार और अडाणी पोर्ट्स के बीच पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) के तहत इस पोर्ट को डेवलप किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट में अभी तक 5000 करोड़ रुपये का निवेश किया जा चुका है और मैनेजिंग डायरेक्टर करण अडाणी ने हाल ही में इस प्रोजेक्ट में 20,000 करोड़ रुपये और निवेश करने की योजना की घोषणा की है।

क्या होता है ट्रांसशिपमेंट हब

ट्रांसशिपमेंट हब एक ऐसा प्रमुख बंदरगाह होता है, जहां कार्गो कंटेनरों को उनके फाइनल डेस्टिनेशन तक पहुंचाने के लिए एक जहाज से दूसरे जहाज में ट्रांसफर किया जाता है। बड़े जहाज इन गहरे पानी के बंदरगाहों पर कंटेनर उतारते हैं और फिर कार्गो को छोटे फीडर जहाजों पर ले जाया जाता है जो इसे क्षेत्रीय बंदरगाहों तक पहुंचाते हैं, जहां बड़े जहाजों को नहीं ले जाया जा सकता।

ट्रांसशिपमेंट हब से देश को क्या होंगे फायदे

केरल में तैयार हुए देश के पहले ट्रांसशिपमेंट हब का मुख्य उद्देश्य कोलंबो, सिंगापुर और दुबई जैसे विदेशी बंदरगाहों पर भारत की निर्भरता को कम करना है। वर्तमान में, भारत अपने लगभग 75% ट्रांसशिपमेंट कार्गो के लिए कोलंबो, सिंगापुर और दुबई जैसे विदेशी बंदरगाहों पर निर्भर है। लेकिन केरल में बने इस ट्रांसशिपमेंट हब से न सिर्फ भारत की दूसरे देशों पर निर्भरता कम होगी बल्कि ट्रांसशिपमेंट लागत में सालाना 200-400 मिलियन डॉलर की बचत भी होगी। 

अब यहां दुनिया के सबसे बड़े जहाजों को भी लाया जा सकता है जो किसी अन्य भारतीय बंदरगाह पर नहीं जा सकते हैं। ट्रांसशिपमेंट हब से बड़ी संख्या में नौकरियां पैदा होंगी और देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। देश की सुरक्षा के लिहाज से भी ये काफी अहम है, क्योंकि ये हिंद महासागर में भारत की निगरानी क्षमताओं को बढ़ाएगा। रणनीतिक रूप से समुद्री सुरक्षा और व्यापार मार्ग सुरक्षा को भी मजबूत करेगा।

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