रिश्तों में भावनात्मक हेरफेर (इमोशनल मैनिपुलेशन) आज की जनरेशन, खासकर Gen Z, के लिए एक गंभीर और समझने योग्य मुद्दा बन गया है। जब कोई इंसान आपको अपनी बात मनवाने के लिए आपके इमोशन्स का इस्तेमाल करता है, जैसे कि आपको दोषी महसूस कराना, डराना या खुद को बेबस दिखाना, तो वो भावनात्मक हेरफेर होता है। सोशल मीडिया, डेटिंग ऐप्स और तेजी से बदलती लाइफस्टाइल के दौर में ये पहचानना मुश्किल हो सकता है कि क्या आप हेल्दी रिलेशनशिप में हैं या भावनात्मक शोषण का शिकार हो रहे हैं।
इमोशनल मैनिपुलेशन क्या होता है?
इमोशनल मैनिपुलेशन तब होता है जब कोई व्यक्ति दूसरों की भावनाओं का इस्तेमाल करके उन्हें अपने अनुसार नियंत्रित या प्रभावित करने की कोशिश करता है। इसमें सामने वाला व्यक्ति आपको दोषी महसूस करवा सकता है, बार-बार आपकी भावनाओं को नजरअंदाज कर सकता है, या खुद को पीड़ित दिखाकर आपकी सहानुभूति का फायदा उठा सकता है। इसका मकसद होता है आपको मानसिक रूप से कमजोर बनाना ताकि आप उसकी बात मानते रहें, भले ही वह आपके लिए सही न हो। यह एक टॉक्सिक व्यवहार है जिसे पहचानना और इससे बचना बेहद जरूरी है।
इमोशनल मैनिपुलेशन को कैसे पहचानें?
रिलेशनशिप कोच जॉन दबाच ने इमोशनल मैनिपुलेशन के पांच संकेत साझा किए।
1. वो आपको अपनी ही बातों पर शक दिलाते हैं: जब आप कोई बात पक्के तौर पर जानते हैं, फिर भी वो ऐसा व्यवहार करते हैं कि जैसे आप भ्रमित हैं या गलत सोच रहे हैं। इससे आप खुद पर भरोसा करना छोड़ देते हैं।
2. वो आपको गिल्टी फील करवा कर कंट्रोल करते हैं: चाहे गलती उनकी हो, वो ऐसा माहौल बना देते हैं कि आप खुद को दोषी मानने लगते हैं और उनकी हर बात मान लेते हैं।
3. वो हमेशा दोष आप पर डालते हैं: अगर कुछ गलत होता है, तो वो अपनी गलती मानने के बजाय सारा इल्ज़ाम आप पर डाल देते हैं।
4. वो सज़ा देने के लिए बात करना छोड़ देते हैं या दूर हो जाते हैं: जब आप उनसे कोई बात करें जो उन्हें पसंद न आए, तो वो आपसे बात करना बंद कर देते हैं या इमोशनली दूर हो जाते हैं ताकि आप डर जाएं और झुक जाएं।
5. जब आप उन्हें टोकते हैं, तो वो बात घुमा देते हैं: जब आप किसी गलत बात पर उन्हें रोकते हैं, तो वो खुद को पीड़ित बना लेते हैं और असली मुद्दे से ध्यान हटा देते हैं।
इमोशनल मैनिपुलेशन से कैसे बचें?
इमोशनल मैनिपुलेशन से बचने के लिए सबसे ज़रूरी है सेल्फ-अवेयरनेस यानी खुद की भावनाओं और सीमाओं को समझना। जब कोई आपको बार-बार दोषी महसूस कराए, बात घुमाए या आपकी भावनाओं का इस्तेमाल करे, तो सतर्क हो जाएं। ऐसे में ‘ना’ कहना सीखें, और अपनी बात साफ़ व शांत तरीके से रखें। भरोसेमंद दोस्तों या मेंटर्स से बात करें और ज़रूरत हो तो प्रोफेशनल मदद लें। याद रखें, हेल्दी रिलेशनशिप में कंट्रोल नहीं, बल्कि रिस्पेक्ट होता है।
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