हाइलाइट्स
‘आज कुछ खास खाने का मन हो रहा है, शाम को क्या बनायूं…?’ अक्सर किसी खास मौके पर या यूं ही हम क्या डिश बनाएंगे, इसके बारे में खूब सोचते हैं. क्या बनाएंगे, कैसे बनाएंगे, कब बनाएंगे जैसे सवालों पर तो हम खूब विचार करते हैं. लेकिन क्या आपने कभी ‘किसमें बनाएंगे’ जैसे सवाल के बारे में सोचा है? खाना बनाना एक कला है, लेकिन उसके लिए सही बर्तन चुनना भी उतनी ही अहम कला है. खाना पकाने के लिए कौन-से बर्तन सबसे अच्छे हैं—स्टील, एल्युमीनियम, लोहे या नॉन-स्टिक, इस पर तरह-तहर का ज्ञान अपने इंटरनेट पर जरूर देखा होगा. लेकिन आइए आपको बताते हैं कि अपनी रसोई के लिए बर्तन चुनते वक्त आपको किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
अगर गैस-स्टोव की बात करें तो स्टेनलेस स्टील का इस्तेमाल खूब होता है. स्टेनलेस स्टील के बर्तन रिऐक्टिव नहीं होते हैं. यानी जब आप इनमें कोई अम्लीय चीज भी बनाते हैं, तब भी इसमें फूड में किसी तरह का कोई केमिकल रिएक्शन नहीं होता है. इसके अलावा स्टेनलेस स्टील के बर्तन अपने अच्छे व भारी बिल्ट के चलते टिकाऊ और लंबे समय तक चलने वाले होते हैं. इनमें कोई हानिकारक कोटिंग नहीं होती और इन्हें साफ करना भी आसान होता है. यही वजह है कि आज घरो में स्टेनलेस स्टील के बर्तन सबसे ज्यादा इस्तेमाल होते हैं. अगर आपको सब्जी दाल उबालनी है या भूननी है तो ये बर्तन उपयोगी होते हैं. लेकिन इन बर्तनों में खाना चिपकने का डर रहता है.
एल्युमीनियम के बर्तन जब आप कुकिंग में इस्तेमाल करते हैं तो इनका सबसे बड़ा फायदा ये होता है कि ये वजन में हल्के होते हैं, उठाने में आसान और जल्दी गर्म होते हैं. इनके साथ कुकिंग करना आसान होता है. लेकिन ये बर्तन रिऐक्टिव होते हैं, खासकर अम्लीय खाने (जैसे टमाटर, इमली) के साथ. एल्युमीनियम के बर्तन समय के साथ घिस जाते हैं और शरीर में एल्युमीनियम की मात्रा बढ़ने से स्वास्थ्य को खतरा हो सकता है.
पुराने समय से ही हमारी कुकिंग में लोहे के बर्तनों का इस्तेला होता आ रहा है. इन बर्तनों में खाना बनाने से आयरन शरीर में अवशोषित होता है, जिससे खून की कमी में लाभ. लोहे के बर्तन बहुत टिकाऊ होते हैं. हालांकि ये बर्तन धीरे-धीरे गर्म होते हैं, लेकिन गर्मी को लंबे समय बनाए भी रखते हैं. साथ ही अगर आप लोहे के बर्तनों पर तेल की कोई चीज बना रहे हैं तो इनपर नेचुरल नॉन-स्टिक कोटिंग बन जाती है. हालांकि रोज-रोज इस्तेमाल करने में ये परेशानी आती है कि ये बर्तन वजन में भारी होते हैं. साथ ही अगर आप इनमें नियमित तेल लगाकर यानी seasoning करके नहीं रखते हैं तो इनमें जंग लग सकती है.
भारतीय रसोई में पिछले कुछ दशकों में नॉन स्टिक कुकवेयर्स ने अपनी खूब जगह बनाई है. नॉनस्टिक पैन्स या बर्तनों की सबसे अच्छी बात होती है कि इनमें खाना कम तेल में पक सकता है. साथ ही खाना चिपकता भी नहीं है. नॉनस्टिक पैन को साफ करना भी आसान होता है. लेकिन भारतीय कुकिंग जहां काफी ज्यादा हीट का इस्तेमाल होता है, ऐसे में ये नुसान दे सकता है. टेफ्लॉन कोटिंग गर्म करने पर (260°C से ऊपर) हानिकारक गैसें छोड़ सकती है. कोटिंग समय के साथ उतरने लगती है और हानिकारक हो सकती है. साथ ही नॉनस्टिक बर्तनों के साथ आपको उससे जुड़ी चम्मच, चमचे, स्क्रबर सब बदलना होता है.
कुकिंग में इस्तेमाल होने वाले बर्तनों की इन खूबी का जानकार अब आप खुद ये तय कर सकते हैं कि आपको किस तरह के बर्तनों का चुनाव अपनी कुकिंग में करना चाहिए. कुकिंग प्रॉसेस और कुकिंग की सामग्री के अलावा कुकिंग किन बर्तनों में की जा रही है, ये भी बहुत मायने रखता है. साथ ही जब भी आप खट्टी या अम्लीय चीजें जैसे चटनी, सांभर, सॉस जैसी चीजें बनाएं या स्टोर करें तो ध्यान दें कि बर्तन का सही चुनाव करें. क्योंकि एल्युमीनियम, लोहे या तांबे के बर्तनों में ये खराब हो सकते हैं.
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