भारतीय रिजर्व बैंक ने एटीएम फीस को लेकर नए नियम लागू कर दिए है। नए नियम गुरुवार एक मई से लागू हो गए है। नए बदलावों में बैंकिंग प्रणाली में मुफ्त लेनदेन सीमा, अतिरिक्त लेनदेन के लिए शुल्क और इंटरचेंज शुल्क को प्रभावित करेंगे। नए नियमों के मुताबिक ग्राहक एक महीने में एक निश्चित संख्या में लेनदेन के लिए एटीएम का उपयोग कर सकते हैं। इस सीमित संख्या के बाद शुल्क लिया जाएगा। मेट्रो क्षेत्रों में तीन और गैर-मेट्रो क्षेत्रों में पांच निःशुल्क लेनदेन करने की सुविधा होगी। इनमें वित्तीय और गैर-वित्तीय दोनों प्रकार के लेनदेन शामिल हैं।
एक बार लेनदेन की सीमा पूरी हो जाने पर, ग्राहक से एटीएम और कैश रिसाइक्लर मशीनों (सीआरएम) का उपयोग करके किए गए प्रत्येक अतिरिक्त लेनदेन के लिए 23 रुपये के शुल्क का भुगतान करना होगा। कैश डिपॉजिट मशीन के जरिए नगदी जमा करने पर कोई फीस नहीं ली जाएगी। वहीं जब ग्राहक अपने बैंक के एटीएम का उपयोग करेगा तो केवल वित्तीय लेनदेन की ही गणना होगी। वहीं अन्य बैंकों के लिए वित्तीय और गैर-वित्तीय दोनों लेनदेन की गणना होगी।
आरबीआई के फैसले का कारण
आरबीआई का यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब देश में एटीएम परिचालन की वित्तीय व्यवहार्यता सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। लाइवमिंट द्वारा रिपोर्ट किए गए आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2025 तक भारत में 2,16,706 एटीएम थे, जिनमें 1,30,902 ऑन-साइट और 85,804 ऑफ-साइट इकाइयां शामिल थीं।
इन एटीएम परिचालनों पर कई कारकों का प्रभाव पड़ा है, जिनमें रखरखाव, नकदी प्रबंधन और प्रौद्योगिकी उन्नयन जैसी बढ़ती परिचालन लागतें शामिल हैं। इन कारकों के कारण एटीएम की उपलब्धता को जारी रखने के लिए शुल्क संरचना को समायोजित करना आवश्यक हो गया है, जिससे छोटे बैंकों और व्हाइट-लेबल ऑपरेटरों को राहत मिलेगी।
आरबीआई द्वारा एटीएम लेनदेन शुल्क में संशोधन, विशेष रूप से नकदी निकासी से संबंधित, एटीएम परिचालन की बढ़ती लागत के साथ ग्राहक सुविधा को संतुलित करने के व्यापक प्रयास को दर्शाता है। यद्यपि शुल्क वृद्धि मामूली है, लेकिन यह एक उभरते वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र का संकेत है, जहां डिजिटल लेनदेन में तेजी जारी है और भौतिक नकदी प्रबंधन के लिए अधिक मजबूत बुनियादी ढांचे के समर्थन की आवश्यकता है।
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