हाइलाइट्स
Canada New PM Mark Carney and Manmohan Singh: कनाडा में लिबरल पार्टी के नेता मार्क कार्नी की जीत ने भारत में पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत मनमोहन सिंह को याद करने का मौका दे दिया है. वैसे तो इन दोनों नेताओं के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है लेकिन दोनों के व्यक्तित्व में काफी समानता है. कार्नी अब कनाडा के नए पीएम होंगे. भारत और दुनिया में मनमोहन सिंह की पहचान एक शानदार अर्थाशास्त्री की थी. मनमोहन सिंह के पहले वित्त मंत्री और फिर 10 सालों तक प्रधानमंत्री रहने के दौरान देश ने शानदार आर्थिक प्रगति की थी. मनमोहन सिंह की तरह मार्क कार्नी भी आर्थिक दुनिया की एक बड़ी हस्ती हैं. आज भी उनकी एक राजनेता से कहीं ज्यादा एक आर्थिक विशेषज्ञ के तौर पर पहचान है.
जानेमाने अर्थशास्त्री
मार्क कार्नी और मनमोहन सिंह दोनों ही विश्व प्रसिद्ध अर्थशास्त्री हैं. कार्नी ने बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ कनाडा के गवर्नर के रूप में काम किया है. उन्होंने 2008 के वैश्विक आर्थिक मंदी के दौरान महत्वपूर्ण नीतिगत फैसले लिए और कनाडा को संकट से उबारने का काम किया. वह ग्लोबल फाइनेंस, व्यापार और मौद्रिक नीति के विशेषज्ञ हैं. कार्नी की ही तरह दिवंगत मनमोहन सिंह ने पहले भारत के वित्त मंत्री (1991-1996) और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर के रूप में काम किया. 1991 में आर्थिक उदारीकरण की नींव उन्होंने ही रखी. दोनों की वैश्विक आर्थिक संस्थानों के बारे में गहरी समझ और अनुभव उन्हें असाधारण नेता बनाता है.
कार्नी ने 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान कनाडा और बाद में ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनकी नीतियों ने बैंकों को मजबूत किया और आर्थिक मंदी के प्रभाव को कम किया. दूसरी ओर, मनमोहन सिंह ने 1991 में भारत को भुगतान संकट से उबारा. उस समय भारत की अर्थव्यवस्था डूबने की कगार पर थी, लेकिन उनके उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण के कदमों ने देश को नई दिशा दी. फिर उनके प्रधानमंत्री रहते हुए भारत 2008 की आर्थिक मंदी से सफलता पूर्वक निपटा.
रिफॉर्मर की भूमिका
कार्नी और सिंह दोनों ही सुधारवादी नेता हैं. ये आर्थिक विकास के लिए दीर्घकालिक नीतियों पर जोर देते हैं. कार्नी ने कनाडा में व्यापार के विविधीकरण और स्वच्छ ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सुधारों की वकालत की है. भारत के साथ उनके व्यापार और निवेश बढ़ाने के प्रयास उनकी दूरदर्शिता को दिखाते हैं.
शांत व्यक्तित्व
कार्नी और मनमोहन सिंह दोनों ही अपनी शांत स्वभाव के नेता हैं. जहां कई नेता भावनात्मक या लोकलुभावन भाषणों पर जोर देते हैं वहीं ये दोनों तथ्यों और विश्लेषण पर आधारित फैसले लेते हैं. मनमोहन सिंह कम बोलने वाले नेता थे. कार्नी भी अपनी कूटनीतिक और तार्किक शैली के लिए प्रसिद्ध हैं.
कार्नी के सामने मुद्दे
कनाडा के इस संघीय चुनाव में कार्नी ने कई प्रमुख मुद्दों को उठाया था. उनकी चुनावी रणनीति मुख्य रूप से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की टैरिफ नीतियों और कनाडा की संप्रभुता पर खतरे के इर्द-गिर्द केंद्रित रही. इसने मतदाताओं में राष्ट्रवाद की भावनाओं को प्रबल किया. इसके अलावा उन्होंने आर्थिक और सामाजिक मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित किया. कार्नी ने ट्रम्प की 25 फीसदी टैरिफ (स्टील, एल्यूमीनियम, ऑटो पार्ट्स) और कनाडा को 51वां अमेरिकी राज्य बनाने की धमकियों को मुख्य मुद्दा बनाया. उन्होंने इसे कनाडा की संप्रभुता और अर्थव्यवस्था पर हमला बताकर मतदाताओं को एकजुट किया. इसके साथ ही कार्नी ने अपनी आर्थिक पृष्ठभूमि को खूब भुनाया. वह मतदाताओं को भरोसा दिलाने में सफल रहे कि वे आर्थिक संकटों से निपटने में सक्षम हैं. ऐसे में पीएम की कुर्सी संभालते ही उनको इन दो मुद्दों से निपटने की चुनौती होगी.
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