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राजस्थान का फ्लेवर हजारीबाग में… इन बाबा के हाथों में है ऐसा जादू, स्वाद का हर कोई दीवाना!

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Hazaribagh Famous Street Food: हजारीबाग में 80 वर्षीय बालू मेवाड़ गर्मी में फालूदा और कुल्फी बेचते हैं, जिसे लोग बेहद पसंद करते हैं. राजस्थान की पारंपरिक तकनीक से बना यह फालूदा स्वाद और ठंडक दोनों देता है. उनकी…और पढ़ें

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बालू

हाइलाइट्स
  • 80 वर्षीय बालू मेवाड़ हजारीबाग में फालूदा बेचते हैं.
  • बालू मेवाड़ का फालूदा पारंपरिक राजस्थानी तकनीक से तैयार होता है.
  • ग्राहकों को बालू मेवाड़ का फालूदा बेहद पसंद आता है.

हजारीबाग. गर्मियों का मौसम आ चुका है और इस मौसम में फालूदा का नाम याद न आए, ऐसा हो ही नहीं सकता. दोपहर की तेज गर्मी में शरीर को ठंडक देने के लिए लोग फालूदा का भरपूर आनंद लेते हैं. खाने के बाद अगर फालूदा मिल जाए तो आनंद दोगुना हो जाता है. हजारीबाग में जब फालूदा का ज़िक्र होता है, तो राजस्थान से आए लोगों द्वारा बनाया गया फालूदा लोगों को बेहद पसंद आता है. हजारीबाग में 50 से अधिक लोग अपना स्टॉल लगाकर गर्मी के मौसम में फालूदा और आइसक्रीम बेच रहे हैं.

80 वर्षीय बालू मेवाड़ का स्टॉल
हजारीबाग के पुलिस ट्रेनिंग सेंटर के पास स्थित सांवरिया आइसक्रीम स्टॉल भी इन्हीं स्टॉल्स में से एक है, जहां राजस्थान से आए लोग फालूदा बनाकर बेचते हैं. इस स्टॉल को 80 वर्षीय बुजुर्ग बालू मेवाड़ चला रहे हैं. उनके द्वारा बनाई गई कुल्फी और फालूदा को लोग बेहद पसंद करते हैं. स्टॉल के संचालक बताते हैं कि कुल्फी और फालूदा बनाना उनका पारंपरिक काम है और वे पिछले 4 वर्षों से हजारीबाग में कुल्फी बेच रहे हैं. इससे पहले वे जयपुर में गर्मियों के मौसम में कुल्फी बेचते थे, जबकि अन्य मौसमों में खेती और घरेलू कामकाज करते थे.

उम्र के इस पड़ाव पर भी काम के प्रति समर्पण
80 वर्ष की उम्र होने के बावजूद बालू मेवाड़ पूरे दिन कुल्फी और फालूदा बनाने के कार्य में व्यस्त रहते हैं. वे अकेले ही रात में घर पर कुल्फी बनाते हैं और दिनभर स्टॉल का संचालन करते हैं. इस उम्र में उनकी लगन और मेहनत देखकर ग्राहक भी चकित रह जाते हैं. दीनू मेवाड़ का कहना है कि जब तक हाथ-पैर चलते हैं, तब तक काम करते रहना चाहिए. उनका बेटा भी यही काम किसी अन्य स्थान पर करता है, लेकिन वे किसी पर निर्भर नहीं होना चाहते. इसी कारण वे हजारीबाग आकर लोगों को अपने हाथों से बना फालूदा परोस रहे हैं.

राजस्थानी तकनीक से तैयार 
उन्होंने बताया कि फालूदा को पारंपरिक राजस्थानी तकनीक से तैयार किया जाता है. इसके लिए घर में दूध को लकड़ी की आग पर गर्म कर गाढ़ा किया जाता है, फिर उसे स्टॉल में ठंडा किया जाता है. फालूदा तैयार करने की प्रक्रिया में सबसे पहले ग्लास में सब्जा सीड्स और सेवई डाली जाती है. इसके बाद उसमें फालूदा मिलाया जाता है. फिर गुलाब का शरबत, चेरी, चॉकलेट शरबत और विभिन्न फ्लेवर की आइसक्रीम डालकर इसे सजाया जाता है और ग्राहकों को परोसा जाता है. हाफ ग्लास की कीमत 40 रुपये और फुल ग्लास की कीमत 60 रुपये है.

स्वाद के साथ ठंडक का एहसास
फालूदा पीने आए ग्राहकों को भी उनके हाथों से बना फालूदा बहुत पसंद आता है. ग्राहक सीतेश तिवारी बताते हैं कि यह फालूदा किसी अमृत से कम नहीं है. गर्मी में यह पूरे शरीर को तरावट से भर देता है. एक चम्मच फालूदा मुंह में जाते ही आत्मा तृप्त हो जाती है.

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