जगमीत सिंह की हार से कनाडा में खालिस्तान आंदोलन को झटका

Jagmeet Singh loss big blow to Khalistan movement in Canada: जगमीत सिंह और उनकी न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) को कनाडा की राजनीति में खालिस्तान समर्थक के रूप में जाना जाता है. 2022 में कनाडा के चुनावों में जगमीत सिंह किंगमेकर बनकर उभरे थे. उस समय उन्होंने जस्टिन ट्रूडो को सरकार बनाने में मदद की थी. कई लोगों ने मान लिया था कि एनडीपी के नेता इस फेडरल चुनाव में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. हालांकि ऐसा नहीं हुआ. जगमीत सिंह ने अपनी बर्नबी सेंट्रल सीट बर्नबी से हार का सामना करना पड़ा. अपनी हार स्वीकार करने के बाद उन्होंने घोषणा की है कि वह एनडीपी के नेता के रूप में पद छोड़ रहे हैं. जैसे ही अंतरिम नेता की नियुक्ति हो जाएगी जगमीत सिंह पार्टी पद से अपना इस्तीफा दे देंगे.

चुनाव में जगमीत का खराब प्रदर्शन
सितंबर 2024 में ट्रूडो सरकार के साथ न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के रिश्तों मे खटास आ गई थी. तब न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी ने ट्रूडो सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था. उसके बाद से सभी की निगाहें 28 अप्रैल को होने वाले फेडरल चुनावों में जगमीत सिंह और उनकी पार्टी के प्रदर्शन पर टिकी थी. हालांकि, ऐसा लगता है कि उनके अभियान ने मतदाताओं को प्रभावित नहीं किया. क्योंकि न केवल जगमीत सिंह ने अपनी बर्नबी सेंट्रल सीट खो दी, बल्कि उनकी पार्टी एनडीपी का प्रदर्शन भी खराब रहा. चुनाव में केवल सात सीटें जीतने के कारण एनडीपी ने अपना राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खो दिया. पिछले चुनाव में  जगमीत सिंह की एनडीपी ने 24 सीटें हासिल की थीं. कनाडा में पार्टियों को हाउस ऑफ कॉमन्स में आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल के लिए 12 सीटों की आवश्यकता होती है.

ये भी पढ़ें- रिटायरमेंट के बाद विदेश में क्यों बस जाते हैं पाकिस्तानी सेना के जनरल? क्या है इसकी वजह

नहीं चला जगमीत का खालिस्तानी एजेंडा
जगमीत सिंह अपनी तीसरी जीत की उम्मीद लगाए बैठे थे. लेकिन वह ब्रिटिश कोलंबिया में बर्नबी सेंट्रल सीट से लिबरल उम्मीदवार वेड चांग से हार गए. जगमीत सिंह को जहां करीब 27 फीसदी वोट मिले, वहीं चांग को 40 फीसदी से ज्यादा वोट मिले. इस हार से जगमीत सिंह के खालिस्तानी एजेंडे को बड़ा झटका लगा है. इन्हीं अलगाववादी नेता जगमीत सिंह के चलते जस्टिन ट्रूडो ने भारत से संबंध खराब कर लिए थे. माना जा रहा है कि इस बार भारतीय समुदाय ने खालिस्तानी एजेंडे के खिलाफ वोट दिया. इसी वजह से जगमीत सिंह की हार हुई है. वहीं, जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे के बाद लिबरल पार्टी की स्थिति में भी सुधार आया. ट्रूडो की विदेश नीति का उनकी पार्टी के अंदर ही विरोध देखने को मिला. भारत को लेकर कार्नी का रुख ट्रूडो से बहुत अलग है. उनका कहना है कि वह भारत के साथ संबंध सुधारने पर ध्यान देंगे.

ये भी पढ़ें- Explainer: कनाडा में मार्क कोर्नी की जीत का क्या मतलब है, इससे भारत के रिश्तों क्या असर पड़ेगा?

जगमीत ने कैसे चढ़ी राजनीति में सीढ़ियां
जगमीत सिंह का जन्म ग्रेटर टोरंटो क्षेत्र के शहर स्कारबोरो, ओंटारियो में एक सिख परिवार में हुआ था. उन्होंने वेस्टर्न ओंटारियो विश्वविद्यालय से जीव विज्ञान में डिग्री और यॉर्क विश्वविद्यालय के ऑसगुड हॉल लॉ स्कूल से लॉ ग्रेजुएट की डिग्री प्राप्त की. 46 वर्षीय सिख नेता ने प्रांतीय राजनीति में आने से पहले कई सालों तक क्रिमिनल वकील के रूप में काम किया. अंततः 2011 में ओंटारियो विधायिका में एक सीट के लिए प्रांतीय चुनाव लड़ा. 2019 में उन्होंने बड़ी राजनीतिक जीत हासिल की जब उन्होंने बर्नबी में एक उपचुनाव जीतकर पहली बार कनाडा की संसद पहुंचे. जगमीत को अपने अच्छी तरह से सिले हुए सूटों के लिए जाना जाता है. एक बार अमेरिकी डिजिटल मीडिया कंपनी बज़फीड ने उन्हें कनाडा का सबसे स्टाइलिश नेता करार दिया था.

ये भी पढ़ें- Explainer: क्या होते हैं काजी कोर्ट या शरिया अदालत, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने गैरकानूनी ठहराया

विवादों में रहे सिख नेता जगमीत
हालांकि जगमीत सिंह विवादों से अछूते नहीं रहे. इस सिख नेता को खालिस्तानी समर्थक माना जाता है. उन्हें 2013 में भारतीय वीजा देने से मना कर दिया गया था. क्योंकि उन्होंने कहा था कि 1984 के सिख दंगों को ‘नरसंहार’ कहा जाना चाहिए. दो साल बाद उन्होंने एक खालिस्तानी रैली में भी भाग लिया, जिसमें ‘खालिस्तान, खालिस्तान’ के नारे लगाए गए थे. इसके अलावा रैली में जरनैल सिंह भिंडरावाले के बड़े पोस्टर लगे थे. भिंडरावाला भारत में घोषित खालिस्तानी आतंकी था और 1984 में स्वर्ण मंदिर में सेना के साथ मुठभेड़ में मारा गया था.

ये भी पढ़ें- Explainer: बांके बिहारी से काशी विश्वनाथ तक, हिंदू मंदिरों से मुस्लिमों का सदियों पुराना नाता, क्या है ताजा विवाद

निज्जर की हत्या के बाद हुए रिश्ते खराब
पिछले साल जब हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद भारत के साथ कनाडा के रिश्ते खराब हो गए थे, तब जगमीत सिंह ने ट्रूडो सरकार के भारतीय राजनयिकों को निष्कासित करने के फैसले का समर्थन किया था. उन्होंने उस समय कहा था, “हम भारत के राजनयिकों को निष्कासित करने के ट्रूडो सरकार के फैसले का समर्थन करते हैं और हम कनाडा सरकार से एक बार फिर भारत के खिलाफ राजनयिक प्रतिबंध लगाने की मांग करते हैं. इसके अलावा जगमीत ने कनाडा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया था.

Source link

hindinewsblogs

Recent Posts

गर्मी में ताजगी चाहिए?, पी लीजिए ये रॉयल लस्सी, स्वाद में नवाबी और ठंडक बेमिसाल

05 शहतूत मलाई लस्सी बनाने के लिए 500 ग्राम ताजा शहतूत, 2-3 बड़े चम्मच पिसी…

16 minutes ago

punjab kings beat chennai super kings by 4 wickets chepauk shreyas iyer yuzvendra chahal csk vs pbks full highlights

CSK vs PBKS Full Highlights: आईपीएल 2025 के 49वें मुकाबले में पंजाब किंग्स ने चेन्नई…

43 minutes ago

Nose Ring Design: शादी के सीजन में ट्राई करें ये नोज रिंग, देखें तस्वीरें

1/10: Nose Ring Design 1: अगर आप नोज रिंग पहनना चाहते हैं और कुछ ट्रेडिशनल…

49 minutes ago

यूट्यूब वीडियो के जरिए निवेशकों को गुमराह करने के आरोप में सेबी ने इन तीन शख्स पर लगाया 5 साल का बैन

Photo:PIXABAY अटलांटा के शेयर खरीदने के लिए यूट्यूब वीडियो के जरिये निवेशकों को गुमराह करने…

57 minutes ago