health tips new systemically injectable therapy save heart from damage after heart attack

New Heart Therapy: दिल के मरीजों के लिए एक अच्छी खबर है. अमेरिका की Northwestern University और University of California San Diego के रिसर्चर्स ने एक ऐसी नई इंजेक्शन थेरेपी बनाई है, जो हार्ट अटैक (Heart Attack) के बाद दिल को डैमेज होने से बचा सकती है. दरअसल, हर साल लाखों लोग हार्ट अटैक का शिकार होते हैं. इनमें से बड़ी संख्या में मरीज धीरे-धीरे हार्ट फेलियर की तरफ बढ़ जाते हैं.

एक बार अगर दिल की मसल्स को नुकसान पहुंच जाए, तो शरीर उसे खुद से ठीक नहीं कर पाता और इलाज के बावजूद कई बार मरीज की हालत बिगड़ती चली जाती है, लेकिन अब नई खोज ने बड़ी राहत दी है. आइए जानते हैं क्या है नई इंजेक्शन थेरेपी और ये कैसे काम करती है…

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नई इंजेक्शन थेरेपी क्या है

इस थेरेपी में खास तरह के पॉलिमर (Chemical Compounds) होते हैं, जो शरीर के कुछ प्रोटीन को पकड़ लेते हैं. ये वो प्रोटीन होते हैं जो दिल को ठीक होने से रोकते हैं. जब ये प्रोटीन रास्ते से हट जाते हैं, तो शरीर के हीलिंग प्रोटीन अपना काम आसानी से कर पाते हैं यानी सूजन और स्ट्रेस को कम करना और दिल को बचाना है.

चूहों पर ट्रायल हुआ सफल

वैज्ञानिकों ने सबसे पहले इस थेरेपी को सेल पर टेस्ट किया और फिर चूहों पर इसका असर देखा. एक ही कम डोज वाली इंजेक्शन देने पर चूहों में सूजन कम हुई, दिल की कोशिकाएं ज्यादा डेड नहीं हुईं और हार्ट की काम करने की क्षमता बढ़ गई. इसके साथ ही, दिल की नई रक्त वाहिकाएं (blood vessels) भी बनने लगीं.

हार्ट फेलियर को रोकने की उम्मीद

Northwestern के वैज्ञानिक Nathan Gianneschi और UC San Diego की Karen Christman ने इस स्टडी को लीड किया. उनका कहना है कि हार्ट अटैक के बाद हार्ट फेलियर रोकने का अब भी कोई पक्का इलाज नहीं है, लेकिन यह नई थेरेपी उस दिशा में बड़ी उम्मीद है. उनका कहना है कि, ‘आज भी हर साल हार्ट अटैक से बड़ी संख्या में अपनी जान गंवा देते हैं. लेकिन हमारे पास ऐसे बहुत कम इलाज हैं, जो हार्ट फेलियर के खतरे को सच में बदल सकें. यह नई थेरेपी उन ‘अंदर के टारगेट्स’ को पकड़ने में मदद कर सकती है, जिन्हें अब तक दवाइयों से ठीक नहीं किया जा सकता था.’

थेरेपी कैसे काम करती है

जब हार्ट अटैक आता है, तब दिल की मसल्स को ऑक्सीजन नहीं मिलती और वहां डैमेज होने लगता है. इसके बाद सूजन और स्कार टिशू बनने लगते हैं, जिससे दिल कमजोर हो जाता है. वैज्ञानिकों ने Nrf2 नामक एक प्रोटीन को टारगेट किया है, जो दिल को स्ट्रेस और सूजन से बचाता है, लेकिन Keap1 नाम का दूसरा प्रोटीन Nrf2 को ब्लॉक कर देता है. इस नई थेरेपी में जो PLP (Protein Like Polymer) है, वो Keap1 को पकड़ लेता है ताकि Nrf2 अपना काम कर सके.

सिर्फ एक इंजेक्शन और हफ्तों तक असर

शोधकर्ताओं का कहना है कि एक बार ये PLP शरीर में गया, तो इसने Keap1 को पकड़ लिया और Nrf2 को रिलीज कर दिया. नतीजा ये हुआ कि दिल की कोशिकाएं खुद को हील करने लगीं. सिर्फ एक इंजेक्शन देने के बाद भी इसका असर 5 हफ्तों तक देखने को मिला.

कैंसर और दिमागी बीमारियों में भी काम आएगा

ये PLP टेक्नोलॉजी Grove Biopharma नाम की कंपनी के जरिए बाजार में लाई जा रही है. वैज्ञानिकों की टीम इसे सिर्फ दिल की बीमारियों (Heart Disease) के लिए ही नहीं, बल्कि कैंसर और न्यूरो डिजीज के इलाज में भी यूज करना चाहती है. अगर ऐसा हुआ तो दोनों ही खतरनाक बीमारियों का खतरा काफी हद तक कम हो सकता है.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें. 

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