भारत और पाकिस्तान के मध्य बढ़ते तनाव के बीच अफगानिस्तान में राज कर रहे तालिबान ने भारत को अपना समर्थन दे दिया है जोकि पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका है। हम आपको बता दें कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के रिश्ते तनावपूर्ण दौर में हैं और इसी के चलते तालिबान ने कुछ समय पहले 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान की पाकिस्तानी सेना के आत्मसमर्पण वाली चर्चित तस्वीर ट्वीट करके इस्लामाबाद को संदेश दिया था कि यदि उसने कोई हिमाकत की तो 1971 की उस प्रचंड जीत को अफगानिस्तान भी दोहरायेगा।
हम आपको बता दें कि भारत के एक शीर्ष राजनयिक ने तालिबान शासित अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी से मुलाकात की जिसमें दोनों देशों के बीच सहयोग के नये मुद्दों पर बात बनी है। भारतीय विदेश मंत्रालय में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान प्रभाग के संयुक्त सचिव आनंद प्रकाश ने तालिबान सरकार के विदेश मंत्री से मुलाकात की तथा द्विपक्षीय राजनीतिक संबंधों को मजबूत करने एवं व्यापार और पारगमन सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की। दोनों ने हाल के क्षेत्रीय घटनाक्रमों पर भी विचार-विमर्श किया। अफगान विदेश मंत्रालय की एक विज्ञप्ति के अनुसार, मुत्ताकी ने अफगानिस्तान और भारत के बीच राजनयिक एवं आर्थिक संबंधों के विस्तार के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने दोनों देशों के बीच लोगों के आवागमन को सुगम बनाने की आवश्यकता पर भी बल दिया और व्यापारियों, रोगियों और छात्रों के लिए वीजा जारी करने की प्रक्रिया को सामान्य बनाने का आह्वान किया। वहीं आनंद प्रकाश ने अफगानिस्तान के साथ संबंधों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता दोहरायी तथा विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को और गहरा बनाने की आशा व्यक्त की।
उन्होंने अफगानिस्तान को अपनी सहायता जारी रखने की भारत की मंशा दोहराई और पहले से रुकी हुई पहलों को फिर से शुरू करने समेत बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश करने में भारत की रुचि से अवगत कराया। विज्ञप्ति में कहा गया, ‘‘दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय जुड़ाव बढ़ाने, वीजा प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने, प्रतिनिधिमंडलों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने के महत्व पर जोर दिया। हम आपको बता दें कि यह बैठक जनवरी में दुबई में विदेश सचिव विक्रम मिसरी की मुत्ताकी से मुलाकात के कुछ महीने बाद हुई।
इस बैठक को भारत के उन प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कड़ी माना जा रहा है जिसके तहत सरकार पाकिस्तान द्वारा सीमा पार आतंकवाद के समर्थन के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय जनमत जुटाने का प्रयास कर रही है। बताया जा रहा है कि सरकार ने अफगानिस्तान में तालिबान शासन को भी 22 अप्रैल को पहलगाम हमले में इस साझा पड़ोसी की संलिप्तता के बारे में जानकारी दी। तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री मौलवी आमिर खान मुत्ताकी ने भारतीय विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव आनंद प्रकाश के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक में इस आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की और दोषियों को दंडित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
हम आपको बता दें कि अगस्त 2021 में तालिबान के काबुल पर नियंत्रण के बाद पैदा हुई आशंकाओं के विपरीत, हाल के समय में भारत और तालिबान प्रशासन के बीच संबंधों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। उस समय आशंका थी कि तालिबान आईएसआई द्वारा संचालित एक प्रॉक्सी सरकार की तरह काम करेगा। वहीं, दूसरी ओर पाकिस्तान और तालिबान के संबंधों में लगातार गिरावट देखी गई है, जिसका मुख्य कारण पाकिस्तान तालिबान (टीटीपी) की गतिविधियां रही हैं। बताया जा रहा है कि मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए अफगानिस्तान की ओर से पाकिस्तान को वह “रणनीतिक सहयोग” देने की संभावना बेहद कम है, जिसकी पाकिस्तान ने हमेशा भारत के साथ सैन्य संघर्ष की स्थिति में तलाश की थी।
हम आपको यह भी बता दें कि तालिबान ने पिछले सप्ताह भी पहलगाम हमले की स्पष्ट रूप से निंदा की थी और कहा था कि ऐसे घटनाक्रम क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने के प्रयासों को कमजोर करते हैं। तालिबान शासित अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल कहर बल्खी ने एक बयान में शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए कहा था, ‘‘अफगानिस्तान इस्लामिक अमीरात का विदेश मंत्रालय जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में पर्यटकों पर हाल में हुए हमले की कड़ी निंदा करता है तथा शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता है।’’
हम आपको यह भी बता दें कि आनंद प्रकाश रविवार को काबुल में द्विपक्षीय संबंधों की प्रगति की समीक्षा करने पहुंचे थे और उन्होंने मुत्ताकी को यह संदेश दिया कि भारत अपनी रूकी हुई परियोजनाओं पर फिर से काम शुरू करने और अन्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश करने के लिए तैयार है। यह भी ध्यान रखने की बात है कि हाल ही में कई अवसरों पर तालिबान ने भारतीय अधिकारियों को देश में निडर होकर काम करने के लिए पर्याप्त सुरक्षा देने का आश्वासन दिया है। रिपोर्टों के अनुसार, चर्चा के दौरान मुत्ताकी ने अफगानिस्तान और भारत के बीच राजनयिक और आर्थिक संबंधों के विस्तार पर जोर दिया और कहा कि फिलहाल अफगानिस्तान में निवेश के लिए अच्छे अवसर मौजूद हैं। उन्होंने भारतीय निवेशकों से इन अवसरों का लाभ उठाने और अफगानिस्तान में निवेश करने का आग्रह किया, साथ ही अफगानिस्तान और भारत के बीच लोगों की आवाजाही को सरल बनाने की मांग की।
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