जिसे लोग कहते थे जहर, गोपालगंज की महिला ने उसी को बनाया कमाई का जरिया, अब प्रोडक्ट बेचकर छाप रही नोट

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Mushroom Producer Rekha Success Story: गोपालगंज की रहने वाली रेखा कुमारी आज महिलाओं के लिए एक रोल मॉडल बन चुकी हैं. मशुरूम उत्पादन ने रेखा की जिंदगी बदल कर रख दी. अब वे मशरूम से कई तरह के फूड प्रोडक्ट भी तैयार …और पढ़ें

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रेखा कुमारी ने मशरूम उत्पादन से बनाई पहचान

हाइलाइट्स
  • रेखा कुमारी ने मशरूम उत्पादन से लाखों की कमाई की.
  • रेखा ने 2 हजार महिलाओं को मशरूम उत्पादन की ट्रेनिंग दी.
  • रेखा के मशरूम प्रोडक्ट्स की मांग बढ़ी, कई पुरस्कार मिले.

गोपालगंज. कभी जिसे गांव वाले खाने से मना करते थे, आज वही मशरूम रेखा कुमारी की पहचान बन चुका है. गोपालगंज जिले के हथुआ गांव की रहने वाली रेखा कुमारी ने साल 2013 में मशरूम उत्पादन की शुरुआत की थी. शुरुआत आसान नहीं थी. तब लोगों का मानना था कि मशरूम ज़हरीला होता है और इसे नहीं खाना चाहिए. दुकानदारों ने उनके मशरूम को बेचने से इनकार कर दिया. लेकिन रेखा ने हार नहीं मानी और उन्होंने खुद मशरूम खाकर लोगों का विश्वास जीता.

रेखा कुमारी ने अपनी मेहनत से एक मिसाल कायम कर दी. आज स्थिति ये है कि मशरूम खरीदने के लिए व्यापारी उनके दरवाजे तक चार पहिया गाड़ियों में आते हैं. मशरूम के उत्पादन से रेखा देवी लाखों रुपए की आमदनी भी कर रही हैं.

मशरूम से कई प्रोडक्ट बनाती हैं रेखा

रेखा कुमारी ने न केवल मशरूम उगाने में महारत हासिल की, बल्कि उससे जुड़े कई उत्पाद भी बनाना शुरू किया. आज वे 6 प्रकार के मशरूम उगाती हैं, जिनमें बटन मशरूम सबसे प्रमुख है. इसके अलावा मशरूम के 6 प्रकार के फूड आइटम भी तैयार करती हैं, जिसमें मशरूम का अचार, बड़ी, लड्डू, बिस्किट, पाउडर और बीज तक शामिल हैं. इन उत्पादों की मांग इतनी है कि ग्राहक खुद उनके घर पहुंचकर सामान खरीदते हैं. उनकी मेहनत और लगन को देखते हुए उन्हें राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं.

2 हजार महिलाओं को दे चुकी हैं ट्रेनिंग

रेखा कुमारी आज महिलाओं के लिए एक रोल मॉडल बन चुकी हैं. अब तक वे करीब 2000 महिलाओं को मशरूम उत्पादन की ट्रेनिंग दे चुकी हैं और 20 महिलाओं को सीधा रोजगार भी दे रही हैं. कृषि विभाग, नाबार्ड जैसी संस्थाएं भी अन्य महिलाओं को उनका उदाहरण देती हैं. उनका उद्देश्य है कि महिलाएं आत्मनिर्भर बनें और खेती के पारंपरिक तरीकों से हटकर कुछ नया करें. रेखा कुमारी ने बताया कि मशरूम के सीजन में हर माह एक लाख से अधिक कमाई होती है. वहीं गर्मियों में प्रोडक्शन थोड़ा गिर जाता है, जिसका असर कमाई पर भी पड़ता है.

परिवार की समृद्धि का जरिया बना मशरूम

मशरूम उत्पादन से रेखा को न केवल पहचान मिली, बल्कि आर्थिक मजबूती भी. उनके पति ने शुरुआत से उनका साथ दिया. आज उनका बेटा इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है और बेटी उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही है. परिवार के लिए भी मशरूम का उत्पादन आय का बड़ा जरिया बन चुका है. रेखा महिलाओं से अपील करते हुए कहती हैं कि घर के कामकाज से जब भी फुर्सत मिले तो महिलाओं को कुछ एक्स्ट्रा सोचना चाहिए जिससे उनकी अपनी पहचान बने.

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गोपालगंज की महिला ने मशरूम को बनाया कमाई का जरिया, प्रोडक्ट बेचकर छाप रही नोट

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