कभी भी आपके घर-दफ्तर आ सकते हैं रिकवरी एजेंट? क्या कहता है आरबीआई

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आरबीआई के निर्देश अनुसार, बैंक के रिकवरी एजेंट सुबह 8 से शाम 7 बजे तक ही ग्राहक के घर जाकर पैसे मांग सकते हैं. दफ्तर जाने से पहले सहमति लेनी होती है. अभद्र भाषा का प्रयोग और डराने-धमकाने पर सख्त कार्रवाई हो सकत…और पढ़ें

रिकवरी एजेंट आपके घर कभी भी नहीं आ सकते हैं.

हाइलाइट्स

  • रिकवरी एजेंट सुबह 8 से शाम 7 बजे तक ही घर आ सकते हैं.
  • अभद्र भाषा और धमकी पर सख्त कार्रवाई हो सकती है.
  • दफ्तर जाने से पहले ग्राहक की सहमति जरूरी है.

नई दिल्ली. गाड़ी खरीदनी हो, जमीन लेनी हो या घर बनवाना हो, हर चीज के लिए आज लोन की सुविधा मौजूद है. लेकिन कई बार ऐसा होता है जब लोग अलग-अलग वजहों से इस लोन की किस्त नहीं चुका पाते हैं. इसके बाद बैंक के रिकवरी एजेंट आपसे संपर्क करना शुरू करते हैं. अभी तक जो बैंक आपसे बेहद सम्मानजनक व्यवहार कर रहा था अब उसके द्वारा आउटसोर्स किए गए लोग आपसे पैसा निकालने के लिए बेहद कठोर बातें करना शुरू कर देते हैं. लेकिन आरबीआई क्या इसकी इजाजत देता है? जवाब है- नहीं. आरबीआई की ओर से बैंकों को सख्त निर्देश है कि उनके रिकवरी एजेंट ग्राहकों से अभद्र भाषा का प्रयोग नहीं कर सकते हैं.

कई लोगों के मन में यह सवाल भी होता है कि क्या ये एजेंट कर्जधारक के घर आकर पैसे मांग सकते हैं. जी हां, रिकवरी एजेंट केवल आपके घर ही नहीं आपके दफ्तर भी आ सकते हैं. लेकिन इसके संबंध में आरबीआई ने कुछ नियम तय किए हुए हैं.

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क्या है नियम
कोई भी रिकवरी एजेंट किसी भी समय घर नहीं जा सकता है. आरबीआई के निर्देश के अनुसार, सुबह 8 से शाम 7 बजे तक ही रिकवरी एजेंट किसी ग्राहक के घर जाकर पैसों की मांग कर सकते हैं. दफ्तर जाने से पहले एजेंट को ग्राहक से बात करके इस पर सहमति लेनी होती है. ग्राहक से मिलने के बाद एजेंट उन्हें केवल कर्ज चुकाने के विकल्पों के बारे में सम्मानजनक तरीके से बता सकते हैं. उन्हें गाली-गलौज, अभद्र भाषा का इस्तेमाल या फिर डराने-धमकाने का अधिकार नहीं है. अगर रिकवरी एजेंट ऐसा नहीं करते हैं तो आरबीआई एजेंट और बैंक दोनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सकता है.

और क्या हैं कर्जदार के अधिकार
बैंक या एजेंट किसी भी कर्जदार की निजी जानकारी, जैसे फोन नंबर, आय की डिटेल्स या कर्ज और बकाया रकम की जानकारी सार्वजनिक नहीं कर सकते हैं. रिकवरी से जुड़ी किसी भी तरह की कार्रवाई से पहले कर्जदार को सूचना दी जानी चाहिए. अगर कोई रिकवरी एजेंट दिए गए दिशा-निर्देशों को न मानकर पुराने डराने-धमकाने वाले तरीके अपनाता है तो इसकी शिकायत पहले बैंक और फिर बैंकिंग लोकपाल से की जा सकती है.

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