ISRO के पूर्व चीफ कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन का शुक्रवार को बेंगलुरू में निधन हो गया। वो 84 वर्ष के थे। रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट में रविवार 27 अप्रैल को उनका शव अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। 2 साल पहले इन्हें एक मामूली हार्ट अटैक आया था। कस्तूरीरंगन तभी से बीमार चल रहे थे।
वर्तमान में वो सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ राजस्थान और NIIT यूनिवर्सिटी के चांसलर के रूप में काम कर रहे थे।
कोच्चि में हुआ था कस्तूरीरंगन का जन्म
24 अक्टूबर 1940 को के कस्तूरीरंगन का जन्म किंग्डन ऑफ कोच्चि के एर्नाकुलम में हुआ। उनका परिवार तमिलनाडु से था जो बाद में केरल में बस गए। कस्तूरीरंगन ने श्री रामा वर्मा हाई स्कूल से शुरुआती पढ़ाई की।
इसके बाद मुंबई के राम नारायण रूईया कॉलेज से साइंस में ग्रेजुएशन किया और यूनिवर्सिटी ऑफ मुंबई से फिजिक्स में मास्टर ऑफ साइंस की डिग्री हासिल की। कस्तूरीरंगन ने 1971 में हाई एनर्जी एस्ट्रोनॉमी में डॉक्टरेट डिग्री हासिल की। इसके बाद 1969 में PhD खत्म करने के तुरंत बाद उन्होंने लक्ष्मी से शादी की।
राजेश और संजय- कस्तूरीरंगन के दो बेटे हैं। उनकी पत्नी लक्ष्मी की 1991 में मृत्यु हो गई।
9 साल तक इसरो के चेयरमैन रहे
के कस्तूरीरंगन 9 साल तक इसरो के चेयरमैन पद पर रहे। इसी के साथ डिपार्टमेंट ऑफ साइंस के लिए वो भारत सरकार के सेक्रेटरी और स्पेस कमीशन के चेयरमैन भी रह चुके हैं।
इसरो सैटेलाइट सेंटर के डायरेक्टर के तौर पर उन्होंने काम किया। इस दौरान उन्होंने INSAT-2, भारत की रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट्स, साइंटिफिक सैटेलाइट्स पर काम किया। भास्कर 1 और 2 प्रोजेक्ट्स के डायरेक्टर भी कस्तूरीरंगन ही थे। भास्कर 1 और 2 भारत की पहली अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट्स हैं।
इसके अलावा PSLV और GSLV के डेवलपमेंट में उनकी अहम भूमिका रही। ये दोनों ही लॉन्च व्हीकल्स हैं। दूसरे ग्रहों पर खोज के लिए मिशन भेजने के लिए कस्तूरीरंजन ने ही रिसर्च शुरू की थी। उन्हीं की कोशिशों की वजह से भारत चंद्रयान-1 मिशन भेज पाया था।
एजुकेशन सेक्टर में भी योगदान रहा
कस्तूरीरंगन नेशनल एजुकेशन पॉलीसी 2020 की ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष रहे। सितंबर 2021 में उन्हें नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क के लिए बनाई 12 सदस्यों की कमेटी का अध्यक्ष भी बनाया गया। इस कमेटी को तीन साल का वक्त दिया गया था जिसके बाद अब स्कूल की किताबों में उनके सुझावों को शामिल किया जाएगा। वे बेंगलुरू के रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट के बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज के मेंबर भी रह चुके हैं।
नंबी नारायणन के सीनियर थे कस्तूरीरंगन
1994 में इसरो के एक साइंटिस्ट नंबी नारायणन पर भारत की रॉकेट टेक्नोलॉजी पाकिस्तान को बेचने के आरोप लगे थे। इसपर रॉकेटरी- द नंबी इफेक्ट नाम से एक फिल्म भी बन चुकी है। के कस्तूरीरंगन इस मामले से सीधे तौर पर नहीं जुड़े थे लेकिन नंबी नारायणन के सीनियर थे।
लेकिन इस पूरे मामले से कस्तूरीरंगन दूर रहे। बाद में कस्तूरीरंगन पर लोगों ने जानबूझकर चुप्पी साधने और नंबी नारायणन का साथ न देने के आरोप लगाए थे।
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