ब्लूस्मार्ट के ऑफिस और ठिकानों पर गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने छापेमारी की है। इसके बाद ब्लूस्मार्ट के सह-संस्थापक पुनीत जग्गी को दिल्ली के एक होटल से हिरासत में लिया गया है। ये जानकारी समाचार एजेंसी पीटीआई ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से शेयर की है। प्रवर्तन निदेशालय ने जेनसोल इंजीनियरिंग लिमिटेड से जुड़े एक मामले में छापेमारी की है।
प्रवर्तन निदेशालय ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत कंपनी के दिल्ली, गुरुग्राम और अहमदाबाद स्थित ऑफिसों की तलाशी ली है। सेबी की रिपोर्ट में वित्तीय अनियमितताओं की जानकारी मिली है। वहीं कॉर्पोरेट कुशासन और फंड डायवर्जन का आरोप लगाए जाने के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने जेनसोल के प्रमोटर अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। न्यूज एजेंसी पीटीआई की माने तो अब तक कंपनी ने इस कार्रवाई के बाद कोई बयान जारी नहीं किया है।
ब्लूस्मार्ट की बुकिंग रोक दी गई
अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी का दूसरा बिजनेस ब्लूस्मार्ट मोबिलिटी, दिल्ली-एनसीआर, बेंगलुरु और मुंबई में ब्लूस्मार्ट ब्रांड के तहत इलेक्ट्रिक कैब का संचालन करता है। हालाँकि, सेबी की रिपोर्ट जारी होने के बाद से कंपनी ने बुकिंग लेना बंद कर दिया है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने भी अगले आदेश तक दोनों भाइयों पर प्रतिभूति बाजार में प्रवेश पर भी रोक लगाई है। सूत्रों ने पीटीआई को बताया कि पुनीत जग्गी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली के एक होटल से हिरासत में लिया है। वहीं अनमोल जग्गी कथित तौर पर दुबई में हैं।
दोनों भाइयों की पत्नियाँ महाराष्ट्र के पुणे में हैं। ईडी के अधिकारियों ने कैमेलियास, डीएलएफ गुरुग्राम और अहमदाबाद में उनके आवासों का भी दौरा किया। सूत्रों ने बताया कि इरेडा और पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) की शिकायत के आधार पर दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) द्वारा एफआईआर दर्ज किए जाने के बाद ईडी प्रमोटरों के खिलाफ धन शोधन का मामला दर्ज कर सकता है।
जेनसोल ग्रुप पर क्या आरोप हैं?
प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई सेबी के आदेश से उपजी है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि जेनसोल इंजीनियरिंग ने इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की खरीद और इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण (ईपीसी) अनुबंधों के लिए पीएफसी और आईआरईडीए लिमिटेड से ऋण प्राप्त किया था। हालांकि, सूत्रों से पता चला है कि इन फंडों का उपयोग उनके इच्छित उद्देश्यों के लिए करने के बजाय, कंपनी ने इस धन को प्रमोटरों, उनके रिश्तेदारों या समूह द्वारा स्थापित विभिन्न मुखौटा संस्थाओं के नाम पर संपत्ति खरीदने में लगा दिया।
एजेंसी ने कथित तौर पर इन परिसंपत्तियों की पहचान की है और पाया है कि समूह ने विदेशी मुद्रा अर्जित करने के लिए भी इन धनराशियों का उपयोग किया है। सूत्रों के अनुसार, जेनसोल ने दुबई और अमेरिका सहित विदेशों में कई कंपनियां स्थापित की हैं। ईडी इस दावे की भी जांच कर रही है कि टाटा ई-वाहन वितरक गो ऑटो प्राइवेट लिमिटेड के अजय अग्रवाल ने ऋण राशि का उपयोग ईवी आपूर्ति के लिए करने के बजाय उसे अन्यत्र लगाने में जेनसोल की सहायता की।
ईडी की जांच के केंद्र में सेबी के निष्कर्ष हैं, जिनसे पता चलता है कि जेनसोल इंजीनियरिंग के प्रमोटरों ने सूचीबद्ध कंपनी को एक मालिकाना फर्म के रूप में माना, और कॉर्पोरेट फंड का दुरुपयोग करके द कैमेलियास, डीएलएफ गुरुग्राम में एक उच्च श्रेणी का अपार्टमेंट खरीदा, लक्जरी गोल्फ सेटों पर पैसा खर्च किया, क्रेडिट कार्ड का भुगतान किया और करीबी रिश्तेदारों को धन हस्तांतरित किया।
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