SAARC Visa Exemption Scheme: सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की बैठक के बाद भारत सरकार ने घोषणा की है कि पाकिस्तानी नागरिकों को सार्क वीजा छूट योजना (SVES) के तहत भारत की यात्रा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बुधवार को घोषणा की, “पाकिस्तानी नागरिकों को अतीत में जारी किए गए सभी एसवीईएस वीजा रद्द माने जाएंगे. एसवीईएस वीजा के तहत भारत में मौजूद किसी भी पाकिस्तानी नागरिक के पास भारत छोड़ने के लिए 48 घंटे का समय है.”
यह घोषणा 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए भयानक आतंकवादी हमले के बाद भारत सरकार की जवाबी कार्रवाई के तौर पर की गई है. इस हमले में 26 नागरिकों की जान चली गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सीसीएस की बैठक में यह निर्णय लिया गया जिसमें गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और अन्य उच्च पदस्थ अधिकारी शामिल हुए.
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भारत ने सैन्य और कूटनीतिक संबंध भी खत्म कर दिए हैं. दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग में तैनात रक्षा, नौसेना और वायु सेना के सलाहकारों को अवांछित घोषित कर दिया गया है और उन्हें एक सप्ताह के भीतर वहां से चले जाने का आदेश दिया गया है. भारत भी इस्लामाबाद से अपने सैन्य सलाहकारों को वापस बुलाएगा.
क्या है सार्क वीजा छूट योजना?
सार्क वीजा छूट योजना यानी एसवीईएस को 1992 में सार्क के सदस्य देशों के बीच यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए डिजाइन किया गया था. सार्क देशों में अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका शामिल हैं. यह पहल इस्लामाबाद में 1988 के सार्क शिखर सम्मेलन में सामने आयी थी. जहां क्षेत्रीय सहयोग और लोगों के बीच आदान-प्रदान पर जोर दिया गया था. इस यात्रा दस्तावेज को सार्क वीजा छूट स्टिकर के रूप में जाना जाता है. इस योजना के तहत पात्र व्यक्तियों को उनके देशों की ओर एक स्पेशल वीजा स्टिकर जारी किया जाता है. जिससे उन्हें अलग-अलग वीजा की जरूरत नहीं पड़ती है.
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24 विशिष्ट श्रेणियों को मिलती थी छूट
इस योजना के तहत 24 विशिष्ट श्रेणियों के अंतर्गत आने वाले व्यक्तियों को सार्क वीजा छूट स्टिकर दिया गया. विशिष्ट श्रेणियों में गणमान्य व्यक्ति, जज, सांसद, वरिष्ठ अधिकारी, बिजनेसमैन, पत्रकार और खेल हस्तियां आते हैं. यानी ये वीजा आम लोगों के लिए नहीं है. इस योजना के तहत सार्क सदस्य देशों के राजनयिक और आधिकारिक पासपोर्ट धारकों को भारत में स्वतंत्र रूप से यात्रा करने की अनुमति दी गई थी. हालांकि, यह नेपाल, भूटान और पाकिस्तान के नागरिकों पर लागू नहीं होता है. जबकि नेपाल और भूटान के नागरिकों को भारत आने के लिए वीजा की आवश्यकता नहीं थी.
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3 साल के लिए मिलता था वीजा
केवल कुछ विशिष्ट श्रेणियों के पाकिस्तानी नागरिक ही मल्टीपल एंट्री बिजनेस वीजा के लिए पात्र थे, जिसकी अवधि अधिकतम एक साल तक सीमित थी और जो भारत के भीतर दस स्थानों तक सीमित था. फिर भी, बार-बार सीमा बंद होने और वीजा सुविधाओं के निरस्तीकरण के कारण भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पार यात्रा सीमित बनी हुई है. 2015 में, भारत ने स्पेशल कैटिगरी के पाकिस्तानी व्यापारियों के लिए मल्टीपल एंट्री बिजनेस वीजा की अनुमति देने के लिए संशोधित निर्देश जारी किए. यह तीन साल तक के लिए वैध था और भारत में 15 निर्दिष्ट स्थानों तक सीमित था. हालांकि, बुधवार को सीसीएस की घोषणा से भारत सरकार के 2015 के छूट आदेश को आधिकारिक रूप से निलंबित कर दिया गया है. फिलहाल इस तरह की कोई संभावना नहीं है कि निकट भविष्य में विशेष व्यवस्था जारी रहेगी.
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