आज (24 अप्रैल) वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी है। इसे वरुथिनी एकादशी कहते हैं। स्कंद पुराण के वैष्णव खंड में एकादशी महात्म्य का अध्याय है। इस अध्याय में श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को सालभर की सभी एकादशियों का महत्व बताया है। वरुथिनि एकादशी व्रत घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनाए रखने की कामना से किया जाता है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, इस तिथि पर भगवान विष्णु के लिए व्रत करने की परंपरा है। सुबह विष्णु-लक्ष्मी का अभिषेक करें और शाम को सूर्यास्त के बाद तुलसी के पास दीपक जलाएं। इस दिन बाल गोपाल को भी माखन-मिश्री का भोग लगाना चाहिए। कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जप भी करें।
तुलसी के पास दीपक जलाकर करें मंत्र जप
वरुथिनि एकादशी की शाम तुलसी के पास दीपक जलाएं और परिक्रमा करनी चाहिए। शाम को तुलसी पूजा करते समय तुलसी को स्पर्श नहीं करना चाहिए। पूजा में शालिग्राम की प्रतिमा भी रखनी चाहिए। तुलसी और शालिग्राम को फूल, वस्त्र अर्पित करें। फलों का भोग लगाएं। तुलसी के सामने बैठकर तुलसी की माला से मंत्र जप करें। मंत्र जप की संख्या 108 होनी चाहिए। तुलसी पूजा मंत्र- ऊँ श्री तुलस्यै विद्महे। विष्णु प्रियायै धीमहि। तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।।
अब जानिए वरुथिनि एकादशी पर कौन-कौन से शुभ काम कर सकते हैं…
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