22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले पर बॉलीवुड सेलेब्स भड़के हुए हैं। इस बीच उरीः द सर्जिकल स्ट्राइक के डायरेक्टर ने कहा है कि उन्हें कश्मीर चाहिए और हमें उनका सिर। जाहिर तौर पर यहां पाकिस्तान की बात की जा रही है, क्योंकि हमले में पाकिस्तानी आतंकी भी शामिल थे। वहीं द कश्मीर फाइल्स के डायरेक्टर ने भी अपनी फिल्मों का उदाहरण देते हुए बयान दिया है।
विवेक अग्निहोत्री ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से लिखा है, सांप्रदायिक हिंसा अपने पीछे लाशों से ज्यादा बहुत कुछ अपने पीछे छोड़ जाती है। ये एक खालीपन छोड़ जाती है। घर राख में बदल जाते हैं, जिंदगियां बिखर जाती हैं, परिवार फिर कभी एक नहीं हो पाते। दर्द सिर्फ शारीरिक नहीं होता, ये एक धीमा, दर्दनाक दुख है। एक मां अपने बेटे को खोज रही है। एक आदमी जिसके हाथ कभी दुआ के लिए उठते हैं, वो अब क्रोध से कांप रहे हैं। ये धार्मिक कट्टरपंथ की मानवीय कीमत है, जहां आस्था एक हथियार बन जाती है और मतभेद मौत की सजा बन जाते हैं।
आगे विवेक ने लिखा है, कट्टरपंथ का मारक मौन या इनकार नहीं है। ये जागरूकता है। मैं जागरूकता पैदा करने के लिए अपना कला का इस्तेमाल करता हूं। ऐसी कला जो सच्चाई से नहीं कतराती। मेरी फिल्में सिर्फ कहानियां नहीं हैं, वे ऐसी जगह हैं, जहां अनुपस्थिति उपस्थिति से ज्यादा जोर से बोलती है। दया, तर्क और सरल मानवता की अनुपस्थिति। मैं अपनी गैर मौजूदगी से रचना करता हूं। चौंकाने के लिए नहीं बल्कि याद दिलाने के लिए। जो हमने खोया है, उसे आइना दिखाने के लिए। ये आरामदायक फिल्में नहीं हैं। वे ऐसे सवाल उठाती हैं जिन्हें हम टालना चाहते हैं, हम क्या बन रहे हैं। पैटर्न देखने से पहले और कितनी जिंदगियां। मेरा सिनेमा एक विरोध है, ये शोक है, स्मृति है। क्योंकि जब हम अंधकार का सामना करते हैं, तभी हम उसके खिलाफ लड़ना शुरू कर सकते हैं।
पुलवामा हमले पर बनी फिल्म उरीः द सर्जिकल स्ट्राइक के डायरेक्टर आदित्य धर ने लिखा है, उन्हें कश्मीर चाहिए, हमें उनका सिर।
प्रोड्यूसर बोले- हिंदुओं को निशाना बना गया
फिल्म द कश्मीर फाइल्स के प्रोड्यूसर अभिषेक अग्रवाल ने भी आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि हमले में हिंदुओं को निशाना बना गया है। उन्होंने कहा है, पर्यटकों को पहलगाम में बेरहमी से मार डाला गया, उनसे जबरदस्ती अपनी पैंट की जिप खोलने को कहा गया ताकि देखा जा सके कि वे खतना करवाए हुए हैं या नहीं। अगर नहीं करवाया था, तो उन्हें गोली मार दी गई। यह साफ तौर पर हिंदुओं को निशाना बनाकर की गई हत्या है, और कुछ नहीं।
यह कोई नई बात नहीं है। यह तो कश्मीरी पंडितों के लक्षित नरसंहार और पलायन से शुरू हुआ था। जब हमने ‘द कश्मीर फाइल्स’ बनाई, तीन दशक बाद, तो हमारे कंटेंट की सच्चाई पर सवाल उठाए गए, जबकि असलियत फिल्म से कहीं ज्यादा भयावह थी।
जो पहलगाम में हुआ, वह इतिहास की पुनरावृत्ति है। तमिलनाडु, कर्नाटक, ओडिशा, गुजरात और महाराष्ट्र से आए पर्यटकों को सिर्फ इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि वे हिंदू थे। ना कि उनकी जाति या भाषा के कारण।
हमने यही नफरत मुर्शिदाबाद में भी देखी, 400 हिंदू परिवारों को पलायन करना पड़ा, हरगोविंद दास और उनके बेटे चंदन दास को सिर्फ मूर्तियां बनाने के कारण मार डाला गया। अब हम ‘द दिल्ली फाइल्स – द बंगाल चैप्टर’ ला रहे हैं, ताकि इस खतरे की जड़ को उजागर किया जा सके। चाहे मुर्शिदाबाद हो या कश्मीर, पैटर्न वही है। हम सच दिखाते हैं, तो लोग उसे झूठ कहते हैं, जबकि सच उनके सामने होता है।
फिल्म द कश्मीर फाइल्स, कश्मीरी पंडितों के संघर्ष की कहानी है।
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