दुनिया पर छाया भारत की देसी दारू का सुरूर! आखिर क्यों बढ़ रही मांग

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एपीडा चेयरमैन के अनुमान के मुताबिक, देश का मादक पेय पदार्थों का निर्यात, मौजूदा 37.05 करोड़ डॉलर से बढ़कर वर्ष 2030 तक एक अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा. इनमें जिन, बीयर, वाइन और रम सहित कई उत्पाद शामिल हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर

हाइलाइट्स

  • भारत की शराब का निर्यात 2030 तक 1 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है.
  • भारत में बनी जिन, बीयर, वाइन और रम की वैश्विक बाजारों में मांग बढ़ रही.
  • जैविक वाइन के लिए ऑस्ट्रेलिया के साथ समझौता अंतिम चरण में है.

नई दिल्ली. भारत में बनने वाली शराब की दुनियाभर में मांग तेजी से बढ़ सकती है और इसका निर्यात 37 करोड़ डॉलर तक जा सकता है. दरअसल, एपीडा के चेयरमैन अभिषेक देव ने कहा कि भारतीय मादक पेय पदार्थों के लिए वैश्विक बाजारों में काफी संभावनाएं मौजूद हैं और देश के पास दुनिया को देने के लिए जिन, बीयर, वाइन और रम सहित कई बेहतर उत्पाद हैं. उन्होंने विश्वास जताया कि देश का मादक पेय पदार्थों का निर्यात, मौजूदा 37.05 करोड़ डॉलर से बढ़कर वर्ष 2030 तक एक अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा.

देव ने यहां भारतीय मादक पेय कंपनियों के परिसंघ (सीआईएबीसी) द्वारा आयोजित एल्कोबेव इंडिया में कहा, ‘‘निर्यात की अपार संभावनाएं हैं और हमारे पास कई अच्छे उत्पाद …विभिन्न प्रकार के जिन, बीयर, वाइन और रम हैं. इसमें काफी संभावनाएं हैं.’’

जैविक वाइन भी एजेंडे में

देव ने उद्योग को सुझाव दिया कि वे निर्यात को बढ़ावा देने के लिए नए बाजारों की तलाश करें और विशाल घरेलू बाजार से ही संतुष्ट न हो जायें. APEDA (एग्रीकल्चर एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी) के चेयरमैन ने कहा कि भारत ऑस्ट्रेलिया के साथ जैविक उत्पादों के लिए आपसी मान्यता समझौते को अंतिम रूप देने के करीब है, और जैविक वाइन उसमें शामिल है.

ये भी पढ़ें- Pahalgam Attack: 3000 करोड़ का व्यापार चढ़ा आतंक की बलि, पाकिस्तान से इकलौता लैंड ट्रेड रूट था अटारी

सम्मेलन में खाद्य प्रसंस्करण सचिव सुब्रत गुप्ता ने उद्योग से मूल्यवर्धित उत्पादों पर ध्यान केंद्रित करने और फलों और सब्जियों की बर्बादी को रोकने का आग्रह किया. भारत कई कृषि वस्तुओं का एक प्रमुख उत्पादक है, ‘‘लेकिन उन्हें प्रसंस्कृत करने की हमारी क्षमता के मामले में, हम उसी श्रेणी में नहीं हैं.’’

उन्होंने मादक पेय पदार्थों के निर्यात को बढ़ाने के लिए भी कहा. गुप्ता ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि इस उद्योग में बहुत संभावनाएं हैं, क्योंकि इससे (निर्यात) बहुमूल्य विदेशी मुद्रा आएगी.’’

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