अक्टूबर 2024 में वर्ल्ड बैंक ने ये ग्रोथ रेट 6.7% बताई गई थी।
IMF के बाद अब वर्ल्ड बैंक ने भी वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की अर्थव्यवस्था के ग्रोथ रेट को घटा दिया है। वर्ल्ड बैंक के मुताबिक FY26 में GDP 6.3% की दर से बढ़ेगी। इससे पहले अक्टूबर 2024 में ये ग्रोथ रेट 6.7% बताई गई थी।
वर्ल्ड बैंक ने कहा कि निर्यात पर व्यापार नीतियों में बदलाव से ग्लोबल ग्रोथ स्लो होने का दबाव है। निजी निवेश पर मौद्रिक नीति के पॉजिटिव इम्पैक्ट को ग्लोबल आर्थिक कमजोरी और नीतिगत अनिश्चितता कम कर देगी।
22 अप्रैल को IMF ने भी घटाई ग्रोथ रेट
कल इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी IMF ने भारत की ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट यानी GDP ग्रोथ का अनुमान घटाया था। IMF के मुताबिक वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की अर्थव्यवस्था 6.2% की दर से बढ़ेगी। इससे पहले IMF ने FY26 में ग्रोथ रेट का अनुमान 6.5% रखा था।
RBI ने कहा- वित्त वर्ष 2025-26 में 6.5% की दर से बढ़ेगी इकोनॉमी
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी RBI ने भी 9 अप्रैल को मॉनिटरी पॉलिसी मीटिंग में FY26 के लिए इकोनॉमी ग्रोथ 6.7% से घटाकर 6.5% कर दी थी।
16 अप्रैल को मूडीज ने कम किया तेजी का अनुमान
इससे पहले 16 अप्रैल को मूडीज रेटिंग्स ने कैलेंडर ईयर 2025 के लिए भारतीय इकोनॉमी की ग्रोथ रेट का अनुमान घटाया था। मूडीज ने 2025 में इकोनॉमी 5.5%-6.5% के बीच की दर से बढ़ने का अनुमान जताया है, जो पहले 6.6% था। फर्म ने ट्रम्प की नई टैरिफ पॉलिसी के चलते ये अनुमान घटाया गया था।
मूडीज फर्म ने बताया कि हीरे, कपड़े और मेडिकल उपकरणों पर टैरिफ से एक्सपोर्ट घटने का खतरा है। इससे अमेरिका के साथ ट्रेड डेफिसिट बढ़ सकता है। फर्म ने कहा टैरिफ पर 90 दिन की रोक से कुछ राहत मिली सकती है, लेकिन टैरिफ पूरी तरह लागू होने पर निर्यात की मांग घटेगी और बिजनेस कॉन्फिडेंस डाउन होगा।
तीसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 6.2% रही
वित्त वर्ष 2024-2025 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में GDP ग्रोथ 6.2% रही। एक साल पहले की समान तिमाही (Q3 FY24) में ये 8.4% रही थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने 28 फरवरी को ये डेटा जारी किया।
वित्त वर्ष 2024-2025 में इकोनॉमी के 6.5% की दर से बढ़ने का अनुमान है। इससे पहले जनवरी में जारी किए गए अनुमान में 2024-25 के लिए विकास दर 6.4% आंकी गई थी, जो 4 साल का निचला स्तर है। पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में GDP ग्रोथ रेट 8.2% थी।
बीते 5 साल का GDP का हाल
GDP क्या है?
इकोनॉमी की हेल्थ को ट्रैक करने के लिए GDP का इस्तेमाल होता है। ये देश के भीतर एक तय समय में बनाए गए सभी गुड्स और सर्विस की वैल्यू को दिखाती है। इसमें देश की सीमा के अंदर रहकर जो विदेशी कंपनियां प्रोडक्शन करती हैं उन्हें भी शामिल किया जाता है।
दो तरह की होती है GDP
GDP दो तरह की होती है। रियल GDP और नॉमिनल GDP। रियल GDP में गुड्स और सर्विस की वैल्यू का कैलकुलेशन बेस ईयर की वैल्यू या स्टेबल प्राइस पर किया जाता है। फिलहाल GDP को कैलकुलेट करने के लिए बेस ईयर 2011-12 है। वहीं नॉमिनल GDP का कैलकुलेशन करंट प्राइस पर किया जाता है।
कैसे कैलकुलेट की जाती है GDP?
GDP को कैलकुलेट करने के लिए एक फॉर्मूले का इस्तेमाल किया जाता है। GDP=C+G+I+NX, यहां C का मतलब है प्राइवेट कंजम्प्शन, G का मतलब गवर्नमेंट स्पेंडिंग, I का मतलब इन्वेस्टमेंट और NX का मतलब नेट एक्सपोर्ट है।
GDP की घट-बढ़ के लिए जिम्मेदार कौन है?
GDP को घटाने या बढ़ाने के लिए चार इम्पॉर्टेंट इंजन होते हैं। पहला है, आप और हम। आप जितना खर्च करते हैं, वो हमारी इकोनॉमी में योगदान देता है। दूसरा है, प्राइवेट सेक्टर की बिजनेस ग्रोथ। ये GDP में 32% योगदान देती है। तीसरा है, सरकारी खर्च।
इसका मतलब है गुड्स और सर्विसेस प्रोड्यूस करने में सरकार कितना खर्च कर रही है। इसका GDP में 11% योगदान है। और चौथा है, नेट डिमांड। इसके लिए भारत के कुल एक्सपोर्ट को कुल इम्पोर्ट से घटाया जाता है, क्योंकि भारत में एक्सपोर्ट के मुकाबले इम्पोर्ट ज्यादा है, इसलिए इसका इम्पैक्ट GPD पर निगेटिव ही पड़ता है।
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