Supreme Court Invokes Article 142 Powers To Save Careers Of 250 Students | जिस आर्टिकल 142 को लेकर मचा था बवाल, उसी से सुप्रीम कोर्ट ने बचाया 250 स्टूडेंट्स का करियर

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Supreme Court Article 142 News: अनुच्छेद 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट को मिली शक्तियों पर पिछले दिनों खूब सवाल उठे. इस बीच, उन्हीं शक्तियों का इस्तेमाल कर अदालत ने 250 छात्रों की शिक्षा में आई अड़चन को दूर किया है.

आर्टिकल 142 का यूज कर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला. (File Photo)

हाइलाइट्स

  • सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 142 का उपयोग कर 250 छात्रों का करियर बचाया.
  • सुप्रीम कोर्ट ने होटल मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट को 2027 तक का समय दिया.
  • आर्टिकल 142 सुप्रीम कोर्ट को ‘पूर्ण न्याय’ सुनिश्चित करने की शक्ति देता है.

नई दिल्ली: जिस आर्टिकल 142 को लेकर खूब सवाल उठते रहे हैं, उसी का इस्तेमाल कर सुप्रीम कोर्ट ने 250 छात्रों का भविष्य बर्बाद होने से बचा लिया. ये वही आर्टिकल है जिसे उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने ‘न्यायपालिका की न्यूक्लियर मिसाइल’ करार दिया था. मामला एक होटल मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट से जुड़ा है, जो कर्नाटक के मंगलुरु में चल रहा था. जहां से यह संस्था चल रही थी, वह जमीन अप्रैल 2025 तक खाली करनी है. लेकिन जिस नए कैंपस में इसे जाना था, वो अब तक बनकर तैयार नहीं है. ऐसे में न इंस्टीट्यूट के पास वक्त है, न जगह. और बीच में लटक गए 250 स्टूडेंट्स, जिनकी पढ़ाई अधर में थी.

ऐसे हालात में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने फैसला सुनाते हुए आर्टिकल 142 का सहारा लिया. कहा गया कि अगर इस विशेषाधिकार का इस्तेमाल नहीं हुआ, तो इन छात्रों का करियर खतरे में पड़ जाएगा. कोर्ट ने साफ निर्देश दिए कि अगले दो सालों तक AICTE और मैंगलोर यूनिवर्सिटी इस संस्था को काम चलाने दें, भले ही वो अस्थायी लोकेशन पर क्यों न हो. बशर्ते, वो जगह छात्रों की पढ़ाई के लिए जरूरी न्यूनतम मानकों पर खरी उतरे. 2004 से ये संस्थान चल रहा है. 2024-25 की अनुमति पहले ही AICTE ने दी थी. अब सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 2027 तक का वक्त दिया है – ताकि नया कैंपस तैयार हो सके और छात्र बेवजह की उठापटक से बचे रहें.

क्या है आर्टिकल 142?

अनुच्छेद 142, सुप्रीम कोर्ट को अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले में ‘पूर्ण न्याय’ सुनिश्चित करने के लिए जरूरी कोई भी आदेश पारित करने की शक्ति प्रदान करता है. आईआईएम अहमदाबाद के रिसर्चर्स ने 2024 में छपी एक स्टडी में पाया था कि 1950 से 2023 के बीच सुप्रीम कोर्ट के 1,579 मामले ऐसे थे जिनमें अनुच्छेद 142 या ‘पूर्ण न्याय’ का जिक्र किया गया. हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया कि इनमें से केवल 50 प्रतिशत मामलों में ही SC ने अनुच्छेद के तहत अपनी शक्ति का ‘साफ तौर से’ इस्तेमाल किया है.

आर्टिकल 142 पर VP ने क्या कहा था?

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक फैसला दिया जिसमें राज्यपालों को विधानसभाओं द्वारा पारित विधेयकों पर अधिकतम तीन महीने के भीतर फैसला लेने की समयसीमा निर्धारित की गई थी. इनमें राष्ट्रपति को भेजे जाने वाले विधेयक भी शामिल हैं. इसी फैसले के बाद, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संविधान के अनुच्छेद 142 पर निशाना साधा. धनखड़ ने कहा कि यह अनुच्छेद ‘न्यायपालिका के लिए चौबीसों घंटे उपलब्ध लोकतांत्रिक ताकतों के खिलाफ एक परमाणु मिसाइल बन गया है’.

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जिस आर्टिकल 142 पर मचा बवाल, SC ने उसी को यूज कर बचाया 250 स्टूडेंट्स का करियर

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