Operation Zeppelin Inside Gautam Adani Counter to Hindenburg report

Operation Zeppelin: फॉरेंसिक वित्तीय फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च, ये वो फर्म है जिसने अडानी समूह को चुनौती दी थी. इसकी एक रिपोर्ट के चलते अडानी समूह का अरबों का आर्थिक नुकसान हुआ था. हालांकि, अब अडानी ग्रुप ने न सिर्फ उस आर्थिक त्रासदी से जोरदार तरीके से वापसी की बल्कि हिंडनबर्ग रिसर्च फर्म के मालिक नाथन एंडरसन की दुकान पर हमेशा के लिए ताला भी लगवा दिया. हिंडनबर्ग ने जनवरी 2023 में एक रिपोर्ट प्रकाशित की. इसमें भारत के सबसे बड़े समूहों में से एक- अडानी समूह के ऊपर “कॉर्पोरेट इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला” करने का आरोप लगाया था.

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से अरबों का नुकसान

हिंडनबर्ग की इस रिपोर्ट के आते ही इस कंपनी के शेयर धड़ाम से नीचे चले गए. इसकी वजह से करीब 150 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का बाजार मूल्य खाक हो गया. एक पल के लिए, ऐसा लग रहा था कि गौतम अडानी का साम्राज्य खतरे में है. समूह का सबसे बड़ा सार्वजनिक निर्गम अचानक रद्द कर दिया गया. 

हालांकि, ये धारणा ज्यादा देर तक बरकरार नहीं रही बल्कि अडानी समूह ने उस नुकसान का मुकाबला करने के लिए और निवेशकों का भरोसा वापस पाने के लिए जनसंपर्क, कानूनी और रणनीति तीनों ही चीजों का सहारा लिया. इस पूरे मामले की जानकारी रखने वालों लोगों का कहना है कि अडानी समूह की वापसी को एक सीक्रेट ऑपरेशन के बाद और बल मिला, जिसके बारे में ये माना जाता है कि एक इजरायली सीक्रेट एजेंसी से मदद मिली थी.

इजरायली एजेंसी ने की ‘सीक्रेट’ हेल्प

गौतम अडानी के इजरायल में हाइफा बंदरगाह को हासिल करने के लिए करीब 1.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर के सौदे को अंतिम रुप देने से ठीक हफ्ते भर पहले हिंडनगबर्ग की रिपोर्ट आयी थी, जिसमें अडानी ग्रुप पर स्टॉक में हेरफेर और लेखांकन में फर्जीवाड़ा का आरोप लगाया गया था. 2020 के दशक में हाइफा बंदरगाह का प्राइवेटाइजेशन इजरायल की सबसे बड़ी और सबसे महत्वाकांक्षी बुनियादी ढांचा और वित्तीय परियोयोजना थी. हालांकि, शुरुआत में इसमें शुरुआत में 18 अंतरराष्ट्रीय बोलीदादाताओं ने रुचि ली. लेकिन सिर्फ पांच को ही अंतिम प्रस्ताव पेश करने की अंतिम मंजूरी दी गई थी.

काफी कड़ी पड़ताल के बाद इजराइल के एक हाइफा बंदरगाह के विजेती की बोले गाडोट मासोफिम ऑफ केमिकल्स लिमिटेड और अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकॉनोमिक जोन लिमिटेड को संयुक्त उद्यम को मिला. इसमें अडानी फर्म की बहुमत हिस्सेदारी थी. इसकी बोलियों से लेकर मूल्यांकनों और मंजूरी में करीब 18 लंबे महीने का लंबा वक्त लग गया. इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भी 31 जनवरी, 2023 को हस्ताक्षर समारोह में मौजूद थे.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, जैसे ही हिंडनबर्ग की रिपोर्ट वैश्विक सुर्खियों में छाई रही, हाइफ़ा पोर्ट के एक साधारण कमरे में एक निजी बातचीत हुई. सूत्रों के मुताबिक, एक शीर्ष इजरायली नेता ने अडानी से आरोपों के बारे में पूछताछ की, जिस पर भारतीय अरबपति ने दृढ़ता से जवाब दिया. उन्होंने इसे सरासर झूठ बताया. पोर्ट के निवर्तमान अध्यक्ष और मोसाद के एक पूर्व उच्च-रैंकिंग अधिकारी एशेल आर्मोनी के भी इस बातचीत के दौरान मौजूद रहने की बात मानी जाती है.

अडानी ग्रुप को इजरायल की मदद

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को इजरायली प्रतिष्ठान के कुछ लोगों ने हाइफ़ा पोर्ट डील को कमजोर करने का एक जानबूझकर प्रयास माना, जिसे तेल अवीव ने भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना है ताकि इस क्षेत्र में बढ़ते चीनी प्रभाव का प्रतिकार किया जा सके.

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से हुए नुकसान के पास ग्रुप पटरी पर लाने के लिए अडानी ने उधार की पूर्व-भुगतान और चुकौती के माध्यम से कर्ज कम करके, प्रमोटर के गिरवी रखे शेयरों में कटौती करके, प्रमोटर और प्रमुख निवेशक इक्विटी दोनों को लाकर, और समूह के मुख्य व्यवसायों पर ध्यान केंद्रित करके कहानी को वापस लाने के लिए ओवरटाइम काम किया.

ठीक इसी दौरान, ऑपरेशन ज़ेपेलिन सामने आया. पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि ये एक गुप्त शुरू की गई जांच थी ताकि हिंडनबर्ग रिसर्च के आंतरिक कामकाज का पता लगाने और उसका समर्थन करने वालों को उजागर किया जा सके. पीटीआई सूत्र ने बताया कि हिंडनबर्ग रिसर्च के न्यूयॉर्क ऑफिस और उसके फाउंडर नाथन ‘नेट’ एंडरसन, जो एक प्रमाणित चार्टर्ड वित्तीय विश्लेषक भी है, उन पर नजर रखी गई.

पूर्व खुफिया अंदरूनी सूत्रों ने जल्द ही कड़ियों को जोड़ना शुरू कर दिया. इसमें कार्यकर्ता वकीलों, पत्रकारों और हेज फंड से लेकर राजनीतिक हस्तियों तक शामिल थे, जो कुछ कथित तौर पर चीनी हितों से जुड़े थे और अन्य वाशिंगटन के पावर ब्रोकरों से.

इजरायली एजेंसी का सीक्रेट मिशन

पीटीआई सूत्रों ने बताया कि जासूसों ने शिकागो के बाहर इलिनोइस के एक छोटे से शहर ओकब्रुक टेरेस के उपनगरीय इलाके में एक परिसर में भी घुसपैठ की, जिससे निजी तौर पर आयोजित वैकल्पिक परिसंपत्ति प्रबंधन फर्मों और भारत, अमेरिका, यूरोप, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में स्थित कार्यकर्ताओं के बीच एन्क्रिप्टेड संचार का पता चला.

सूत्रों के मुताबिक, अडानी को 2024 के जनवरी में स्विट्जरलैंड की अपनी निजी यात्रा के दौरान इस सीक्रेट ऑपरेशन के बारे में जानकारी दी गई. इस पर अडानी ने बिना किसी शोर-शराबे के रणनीति के साथ जवाब दिया. अमेरिका में निगरानी के दौरान काम करने वालों के साथ काम करने के लिए वकीलों और खुफिया सलाहकारों की एक टीम इकट्ठी की गई. प्रशासन के प्रभावशाली व्यक्तियों को इस मुद्दे पर जानकारी दी गई.

इसके अलावा, अहमदाबाद में उन्होंने साइबर एक्सपर्ट्स और विश्लेषकों के साथ एक हाई टेक्नोलॉजी कंट्रोल रूप बनाया. उनकी कानूनी टीमों ने अंतरराष्ट्रीय राजधानियों में काम किया. 2024 के अक्टूबर तक अडानी के खिलाफ सहयोगी नेटवर्क पर ज़ेपेलिन डोजियर 353 पृष्ठों तक बढ़ गया था. उसी वर्ष बाद में, कथित तौर पर लीक हुए दस्तावेजों में अमेरिकी एजेंसियों और मीडिया प्लेटफार्मों के बीच संबंध दिखाए गए थे जो अडानी विरोधी कहानियों को बढ़ावा दे रहे थे.

हिंडनबर्ग के खिलाफ अडानी का मिशन ऑपरेशन

2024 के नवंबर के आखिर में अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट और प्रतिभूति व विनिमय आयोग ने गौतम अडानी और प्रमुख अधिकारियों पर भारत में नवीकरणीय ऊर्जा आपूर्ति अनुबंध हासिल करने के लिए कथित रिश्वतखोरी योजना का हिस्सा होने का आरोप लगाया. अडानी समूह ने इन सभी आरोपों को खारिज कर दिया. इसके साथ ही, अडानी ग्रुप ने हिंडनबर्ग रिसर्च और नाथन एंडरसन के खिलाफ न्यूयॉर्क के दक्षिणी जिले में कानूनी एक्शन शुरू करने की तैयारी की. एक व्हाइट शू लॉ फर्म की तरफ से तैयार किए गए 7 पेज के कानूनी मसौदे को एंडरसन के ऑफिस भेजा गया था.

पीटीआई सूत्रों के मुताबिक, हिंडनबर्ग के अधिकारियों और अडानी के कानूनी मध्यस्थों के बीच एक बैठक प्रस्तावित की गई थी, लेकिन ये साफ नहीं था कि मैनहट्टन के 295 फिफ्थ एवेन्यू में टेक्सटाइल बिल्डिंग में ये बैठक हुई भी थी या नहीं. इस साल यानी 2025 में 15 जनवरी को अडानी ग्रुप पर अपनी रिपोर्ट की दूसरी वर्षगांठ से हफ्ताभर पहले हिंडनबर्ग रिसर्च ने औपचारिक रुप से अपना ऑपरेशन बंद करने का एलान किया.

ये भी पढ़ें: ट्रेड वॉर के चलते 2026 और उसके बाद भी चीन-अमेरिका को होगा बड़ा नुकसान, IMF ने दी चेतावनी

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