DBT ने सरकारी डिस्ट्रीब्यूशन में लीकेज को रोक सरकार के ₹3.48 लाख करोड़ बचाए, पीडीएस के तहत इतनी हुई बचत

Photo:PTI मनरेगा में 98 प्रतिशत मजदूरी समय पर ट्रांसफर की गई।

प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण यानी डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) ने कल्याणकारी वितरण में लीकेज को रोककर भारत को 3.48 लाख करोड़ रुपये की संचयी बचत हासिल करने में मदद की है। पीटीआई की खबर के मुताबिक, ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त मंत्रालय द्वारा साझा की गई इस रिपोर्ट में डीबीटी के प्रभाव की जांच करने के लिए 2009 से 2024 तक के आंकड़ों का मूल्यांकन किया गया है।

सब्सिडी आवंटन कुल सरकारी व्यय के 16 से घटकर 9% रह गया

खबर के मुताबिक, बजटीय दक्षता, सब्सिडी युक्तिकरण और सामाजिक परिणामों पर डीबीटी ने अपनी छाप छोड़ी है। रिपोर्ट में यह भी पाया गया है कि डीबीटी के अमल में आने के बाद से सब्सिडी आवंटन कुल सरकारी व्यय के 16 प्रतिशत से घटकर 9 प्रतिशत रह गया है, जो सार्वजनिक व्यय की दक्षता में एक बड़ा सुधार दर्शाता है। सब्सिडी आवंटन के आंकड़ों में डीबीटी कार्यान्वयन के बाद महत्वपूर्ण बदलाव दिखा, जिससे लाभार्थी कवरेज में वृद्धि के बावजूद राजकोषीय दक्षता में सुधार पर प्रकाश डाला गया।

डीबीटी से पहले के दौर (2009-2013) में, सब्सिडी कुल व्यय का औसतन 16 प्रतिशत थी, जो सालाना 2.1 लाख करोड़ रुपये थी, जिसमें सिस्टम में काफी रिसाव था। डीबीटी के बाद के दौर (2014-2024) में, सब्सिडी व्यय 2023-24 में कुल व्यय का 9 प्रतिशत कम हो गया, जबकि लाभार्थी कवरेज 11 करोड़ से 16 गुना बढ़कर 176 करोड़ हो गया।

पीडीएस के तहत 1.85 लाख करोड़ रुपये की बचत

रिपोर्ट के मुताबिक, खाद्य सब्सिडी (पीडीएस) के तहत 1.85 लाख करोड़ रुपये की बचत हुई, जो कुल डीबीटी बचत का 53 प्रतिशत है। यह काफी हद तक आधार से जुड़े राशन कार्ड प्रमाणीकरण के कारण था। मनरेगा में 98 प्रतिशत मजदूरी समय पर ट्रांसफर की गई, जिससे डीबीटी-संचालित जवाबदेही के जरिये 42,534 करोड़ रुपये की बचत हुई। इसी तरह, पीएम-किसान के तहत, डीबीटी के इस्तेमाल से 2.1 करोड़ अयोग्य लाभार्थियों को योजना से हटाकर 22,106 करोड़ रुपये की बचत हुई है। उर्वरक सब्सिडी के तहत, 158 लाख टन उर्वरक की बिक्री कम हुई, जिससे 18,699.8 करोड़ रुपये की बचत हुई।

डीबीटी ने इस तरह डाला असर

ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण और प्रत्यक्ष हस्तांतरण में सिस्टम की भूमिका दक्षता में सुधार और दुरुपयोग को रोकने में महत्वपूर्ण रही है। डीबीटी के साथ भारत का अनुभव आर्थिक और सामाजिक विकास दोनों को बढ़ावा देने में प्रत्यक्ष हस्तांतरण की प्रभावकारिता के लिए एक सम्मोहक मामला प्रस्तुत करता है। इस सफलता की कहानी से हासिल सबक कल्याण प्रणालियों को अधिक कुशल, पारदर्शी और समावेशी बनाने के वैश्विक प्रयासों का मार्गदर्शन कर सकते हैं।

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