तब्लीगी जमात के जलसे में लोगों को संबोधित करते मौलाना साद।
हरियाणा के नूंह में चल रहे तब्लीगी जमात के जलसे में रविवार को जमात के प्रमुख मौलाना साद ने कहा, “इस्लाम देश से बगावत की इजाजत नहीं देता और इस्लाम को मानने वाले लोग गलत काम नहीं कर सकते। इसलिए मोमिनों को गलत काम छोड़कर सही राह पर चलना चाहिए।”
मौलाना साद ने आगे कहा, “हम भारत में रहते हैं और यहां के कानून हमें मानने होंगे। सच्चा मोमिन ऐसा कोई काम नहीं करता, जिससे किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे और जो कानून के खिलाफ हो।”
उधर, तब्लीगी जमात के जलसे से घर जा रहे इमाम की सड़क हादसे में मौत हो गई। उनकी पत्नी को प्रसव पीड़ा हुई थी। इमाम को सूचना मिली तो वह जलसे से घर के लिए निकल गए। रास्ते में घाटा बसई गांव के पास उनकी बाइक को डंपर ने टक्कर मार दी, जिसमें उनकी मौके पर ही मौत हो गई।
तब्लीगी जमात के जलसे में मौलाना साद को सुनते लोग।
मौलाना साद की जलसे में 3 अहम बातें…
1. पांचों वक्त नमाज अता करनी चाहिए मौलाना साद ने कहा, “सच्चे मुस्लिम को पांचों वक्त की नमाज पाबंदी के साथ अता करनी चाहिए और अपने बच्चों को मस्जिद जरूर लेकर जाना चाहिए। विशेष रूप से घर की बेटियों और महिलाओं को इस्लाम की शिक्षा देनी चाहिए। नमाज अता नहीं करने पर मोमिन को किसी भी सूरत में माफी नहीं है। चलने फिरने में बीमार मोमिन को बैठकर नमाज अता करनी चाहिए। जान बूझकर एक नमाज छोडने पर दो करोड़ 88 लाख वर्ष जहन्नुम में जलना पड़ेगा।”
2. कब्जा करने वालों की दुआ कबूल नहीं होती उन्होंने कहा, “अपने मां-बाप की नाफरमानी करने वालों को खुदा कभी माफ नहीं करता। ऐसा करने वाले लोग अल्लाह की नजरों में बड़े गुनहगार होते हैं। मोमिन को चाहिए कि वो नबी के बताए गए तरीकों पर जिंदगी गुजारे। जो मुस्लिम जमीनों और रास्तों पर अवैध कब्जा करता है, उसकी दुआ कभी कबूल नहीं होती। इस्लाम जानना इस्लाम नहीं है, बल्कि अमल करना इस्लाम है। तकदीर पर ईमान लाना जरूरी है। ईमान केवल दिल में रखने की चीज नहीं है बल्कि जाहिर करने का है।”
3. इस्लाम को किताब से जिंदगी में लाओ साद ने आगे कहा, “मुसलमान की पहचान नबी मुहम्मद के हुलिया से होती है। अगर मुसलमान जकात देने वाला बन जाए तो दुनिया से गरीबी खत्म हो जाएगी। अगर हर आलिम, आलिम बन जाए तो दुनिया से जहालत खत्म हो जाएगी। अभी तक इस्लाम किताब में है, इसे जिंदगी में लाओ। किताब का अमल इस्लाम नहीं है बल्कि जिंदगी को इस्लाम के तरीके से गुजारना इस्लाम है।”
नूंह से ही शुरू हुई थी तब्लीगी जमात की शिक्षा तब्लीगी जमात की शिक्षा की शुरुआत नूंह से ही मानी जाती है। तब्लीगी जमात की शुरुआत हजरत मौलाना इलियास कांधलवी ने की थी। 1926-27 में मौलाना इलियास कांधलवी ने नूंह से ही इस्लामिक प्रचार की शुरुआत की थी। उन्होंने नूंह को इस्लामी शिक्षा और प्रचार का केंद्र बनाया।
मदरसा मोइनुल इस्लाम नूंह की बड़ी मुस्लिम संस्था है। यह मदरसा तब्लीगी जमात के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक है। यहां से इस्लामी शिक्षा और तब्लीगी जमात का प्रसार हुआ। नूंह से शुरू होकर तब्लीगी जमात आज दुनिया के 150 से अधिक देशों में फैल चुकी है। नूंह में हर शुक्रवार को हजारों लोग नमाज अदा करने आते हैं और यह स्थान इस्लामी शिक्षा के लिए एक प्रमुख केंद्र बना हुआ है।
हरियाणा, यूपी, दिल्ली और राजस्थान के इलाके को मेवात मानते हैं तब्लीगी इस कार्यक्रम के मीडिया कोऑर्डिनेटर रफीक मास्टर ने कहा- हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के कुछ क्षेत्रों को तब्लीगी जमात मेवात मानती है। कई राज्यों में जमात ऐसे जलसे करवाती है। पिछली बार ये जलसा राजस्थान में हुआ था। इस बार नूंह जिले के फिरोजपुर झिरका शहर को चुना गया है। यहां से 60 किलोमीटर अलवर (राजस्थान), 60 किलोमीटर कामां (उत्तर प्रदेश) और 60 किलोमीटर सोहना है। ये सब मेवात के अंडर हैं।
तब्लीगी जमात की शुरुआत कैसे हुई, इसके सिद्धांत क्या, ग्राफिक्स में पढ़ें…
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