बेकार जाते थे गुलाब.. घर में मां-बेटी ने बना दी ऐसी चीज….पूरे शहर में है भारी डिमांड

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Success Story: आज हम आपको मां बेटी की एक ऐसी कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने बेकार जा रहे गुलाब के फूलों का सही जगह लगाने का सोचा और आज वह उससे शरबत की बोतलें बना रही हैं, और उनके इस शरबत की डिमांड आसपास के ए…और पढ़ें

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गुलाब से खड़ा किया बिजनेस

हाइलाइट्स
  • मां-बेटी ने गुलाब से शरबत बनाना शुरू किया
  • शरबत की मांग आसपास के इलाकों में बढ़ी
  • टीम में 3-4 महिलाएं और पुरुष काम करते हैं

पूर्वी दिल्ली:- अक्सर लोग कहते हैं, कि क्या काम करें. हमारे पास तो कोई रोजगार या काम नहीं है और बस वह भटकते रहते हैं, लेकिन आज हम आपको ऐसी मां बेटी की कहानी बताने जा रहे हैं, जो ऐसे लोगों के लिए मिसाल हैं. दरअसल यह कहानी उन मां बेटी की है, जो पर्यावरण के लिए बेहतर काम कर रही हैं और रोजगार का जरिया भी बना रही हैं. उन्होंने रोजाना पूजा पाठ में इस्तेमाल होने वाले गुलाब के फूल को बेकार कूड़ेदान में जाता देख इनको इस्तेमाल में लाने के लिए तरकीब सोची और फिर इन्होंने उसका गुलकंद बनाना शुरू किया. आज उसका यह परिणाम है, कि वह दिन में कई बोतलें ठंडे शरबत की तैयार करती हैं और आसपास के एरिया में इसकी काफी डिमांड है और इतना ही नहीं इनके साथ आज 3 से 4 महिलाएं और 3 से 4 पुरुष भी काम कर रहे हैं. तो चलिए जानते हैं उन्होंने कैसे की इसकी शुरुआत

नानी से आया आइडिया 
नीता जो कि पेशे से हाउसवाइफ है. उन्होंने लोकल 18 को बताया, कि यह गुलकंद और गुलाब का शरबत बनाने का आइडिया उन्हें अपनी नानी से आया था, इसके पीछे की स्टोरी बताते हुए वह कहती है कि मेरे गार्डन में बहुत सारे फूल थे, जो कि वेस्ट हो जाते थे. मैंने उन्हें पूजा के लिए लगाए थे, लेकिन उन्हें वेस्ट होते देख मेरे दिमाग में आइडिया आया, क्यों ना इससे गुलकंद और गुलाब का शरबत बनाया जाए.

बेटी का मिला साथ
फिर क्या था मां के पास घरेलू नुस्खों का अनुभव था और बेटी ने ऑनलाइन रिसर्च कर तरीके सीखे. दोनों ने मिलकर गुलाब की पंखुड़ियों को सुखाया, साफ किया, और उनसे स्वादिष्ट गुलकंद और ठंडक देने वाला शरबत तैयार किया.शुरुआत अपने घर से की, फिर दोस्तों और पड़ोसियों को देना शुरू किया आज उनके बनाए गुलकंद और शरबत की मांग आसपास के इलाकों में होने लगी है.

महिलाएं करती हैं सहयोग
दिव्या बताती हैं, कि इस काम को करने के लिए उन्हें अपनी टीम मेंबर्स का सहयोग मिलता है. उनके टीम में तीन-चार महिलाएं हैं. वहीं तीन-चार पुरुष भी काम करते हैं. वह कहती है कि एक दिन में हम 10 से 11 बॉटल्स शरबत की तैयार कर लेते हैं.

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