हाइलाइट्स
SOLAR POWER: पीओके के लोग पाक सरकार और फौज की ज्याददती से इतना परेशान है कि वह भारत से मिलने की मांग करने लगे है. पीओके में ना तो कोई सुविधा है और अगर थोड़ी बहुत मिल भी जाती है तो उसके लिए उन्हें मोटी रकम अदा करने होती है. LOC के पास के दोनों तरफ से गांवों में एक दूसरे की रिश्तेदारी भी है. कश्मीर में मिलने वाली सुविधा देख वह जलते भी है. अब यह जलन और भारत में मिलने की मांग दोनों और तेज हो सकती है. नॉर्थ कश्मीर के तंगधार की करनाह घाटी के एक गांव सिमरी में सेना ने ऑपरेशन सद्भावना के तहत चौबीस घंटे रौशनी ला दी है. खास बात तो यह है कि यह गांव पीओके से साफ नजर आता है. सोलर पावर के जरिए से पहली बार वहां बिजली पहुंचा कर इतिहास बना दिया है. भारतीय सेना और असीम फाउंडेशन ने मिलकर यह कारनामा कर दिखाया. घरों में LPG सिलेंडर भी पहुंचा दिया.
देश का पहला नंबर पोलिंग स्टेशन रहेगा हमेशा रौशन
LOC पर बसे सिमरी गांव की सबसे खास बात तो यह है यह गाव देश के पोलिंग स्टेशन नंबर 1 के नाम से भी जाना जाता है. इसकी नाम से गांव का एक हिस्सा पीओके में भी है. भारतीय गांव में कुल 53 घर है. इस गाव की आबादी 347 है. यह गांव लंबे समय से बिजली की समस्या से जूझ रहा था. लेकिन अब ऐसा नहीं होने वाला.अब तक यहां के लोग खाना बनाने के लिए लकड़ी और मिट्टी के तेल पर ही निर्भर था. गांव के लोगों की अपील पर सोलर पावर और LPG डिस्ट्रीब्यूशन परियोजना शुरू की. इस गाव को 4 माइक्रोग्रिड क्लस्टर में बांटा गया. इसमें सोलर पैनल, इन्वर्टर, बैटरी और LED लाइटिंग की व्यवस्था की गई. इससे हर वक्त बिजली की व्यवस्था सुनिश्चित हो गई. इसके अलावा सभी घरों में LPG कनेक्शन और डबल बर्नर वाले चूल्हे भी दिए गए हैं. इस पूरे प्रयास को शौर्य चक्र से सम्मानित कर्नल संतोष महाडिक को समर्पित किया गया है. जिन्होंने 2015 में कश्मीर में आतंकवाद से लड़ते हुए वीरगति पाई थी.
POK में लोगों का जीवन नरक से कम नहीं
पीओके में पिछले कुछ समय से गदर मचा हुआ है. जो पाकिस्तानी सेना और पुलिस पीओके के लोगों पर डंडे बरसाती थी वह सड़कों में पिटते दौड़ते दिखे थे. अब वहा के लोग भारत के साथ आना चाहते है. पीओके में जो प्रदर्शन हुए है उनमें सबसे अहम मुद्दों में से रहे बिजली के बिल. पहले पाकिस्तान की सरकार इन सब पर सब्सिडी देती थी लेकिन पिछले सालों में सब्सिडी हटा ली गई थी. जिससे प्रति यूनिट बिजली 16 से 22 रुपये पहुंच गई थी. लोगों की मांग जायज भी थी क्योकि पाकिस्तान में बिजली की आपूर्ति सबसे ज़्यादा हाईड्रो पावर प्रोजेक्ट के जरिए ही होती है. जो कि पीओके में ही है. पीओके गिलगित बालटिस्तान कुल मिलाकर 4000 मेगावाट बिजली उत्पादन करता है. इसके लिए कुल 150 छोटे बड़े हाइड्रो पावर प्लांट लगे हुए है. जिस इलाके में बिजली उत्पादन होता है. लेकिन वहीं के लोगों को बिजली या तो मिलती ही नहीं है या फिर महंगी मिलती है. यह पूरी बिजली जाती है पाकिस्तान की सेना के उन उपजाऊ फार्म लैंड की सिंचाई के लिये, जो कि उनके रिटायरमेंट के बाद उन्हें दी जाती है. अब जब पीओके को बांटने वाली किशनगंगा नदी के ठीक दूसरी छोर पर भारतीय गांवों में हर वक्त रौशनी दिखेगी तो उस पार वालों को जलन तो होगी ही.
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