शनिवार को कांग्रेस ने उन नेताओं के नामों का ऐलान किया जो गुजरात में DCC के बदलावों पर नजर रखेंगे और यह देखेंगे कि सब ठीक से हो. गुजरात के 41 DCC के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) ने कई बड़े नेताओं को पर्यवेक्षक बनाया है. इनमें सांसद मणिकम टैगोर, प्रणिति शिंदे, नीरज डांगे, सुखदेव भगत और इमरान मसूद जैसे नाम शामिल हैं. इनके अलावा बालासाहेब थोराट, बीके हरिप्रसाद, हरीश चौधरी, मीनाक्षी नटराजन, गिरीश चोडनकर, विजय इंदर सिंगला और अजय कुमार लल्लू भी पर्यवेक्षक होंगे.
क्यों कमजोर पड़ी DCC?
दरअसल जिला कांग्रेस समितियां ही बूथ, ब्लॉक और मंडल स्तर के कार्यकर्ताओं के काम और गतिविधियों पर ध्यान रखती हैं. ये कार्यकर्ता ही पार्टी के लिए जमीनी स्तर पर काम करते हैं और लोगों से जुड़ते हैं. यहीं से पार्टी के कार्यकर्ता और समर्थक तैयार होते हैं. लेकिन सालों से कई राज्यों में DCC कमजोर पड़ गईं. इसकी वजह यह थी कि नेता अपने चहेतों को जिला अध्यक्ष बनवाने के लिए जोड़-तोड़ करते थे. फिर ये जिला अध्यक्ष अपनी पसंद के लोगों को समितियों में भर लेते थे.
पढ़ें- नेशनल हेराल्ड केस: ED का शिकंजा! गांधी परिवार की संपत्तियों पर क्या हुआ? अंदर की खबर!
जब कमजोर हुए तो कार्यकर्ता की आई याद
उदाहरण के लिए हरियाणा में कांग्रेस करीब दस साल से ब्लॉक और जिला स्तर पर अपना संगठन नहीं बना पाई है. इसकी वजह पार्टी के अंदर गुटबाजी और आपसी झगड़े हैं. केरल में तो जिला अध्यक्षों की नियुक्ति गुटों के आधार पर होती रही है. सालों से राज्य में पार्टी “आई” और “ए” नाम के दो गुटों में बंटी हुई है. ये गुट पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के विरोध के समय बने थे और आज भी कायम हैं. दोनों गुटों ने केरल के 14 जिलों को आपस में बांट रखा है.
इन वजहों से जिला इकाइयां बुरी तरह से बंटी हुई थीं. जो नेता जिला अध्यक्ष की दौड़ में हार जाते थे, वे चुने गए नेता के साथ सहयोग नहीं करते थे या उन्हें अलग कर दिया जाता था. अब AICC हर जिले में एक राजनीतिक मामलों की समिति बनाने की सोच रही है. इस समिति में जिले के सभी बड़े पार्टी नेताओं को शामिल किया जाएगा ताकि वे मिलकर फैसले ले सकें. पार्टी को उम्मीद है कि इससे आपसी मतभेद कम होंगे.
क्या है कांग्रेस का प्लान?
पार्टी हर जिले के लिए एक पैनल भी बनाना चाहती है. इसमें AICC का एक पर्यवेक्षक और राज्य कांग्रेस के चार नेता होंगे. यह पैनल एक मीटिंग करेगा और जिला स्तर के नेताओं और बड़े राज्य नेताओं से राय लेगा. इसके बाद यह जिला अध्यक्ष बनने के इच्छुक उम्मीदवारों से बात करेगा. पार्टी नेताओं का कहना है कि इसका मकसद “सबसे काबिल नेता” को जिला अध्यक्ष चुनना है.
ये भी पढ़ें- राहुल गांधी ने नए पासपोर्ट के लिए दिल्ली की कोर्ट में दी अर्जी, एनओसी के लिए लगाई गुहार
यह नया प्रयोग जल्द ही गुजरात में शुरू किया जाएगा. शनिवार को पर्यवेक्षकों का ऐलान इसी प्रक्रिया का हिस्सा है. इसके नतीजे देखने के बाद इसे दूसरे राज्यों में भी लागू किया जाएगा. कांग्रेस का कहना है कि इस पूरी प्रक्रिया में कम से कम एक साल लगेगा.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार एक नेता ने कहा, “गुजरात प्रयोग के बाद हम देख पाएंगे कि यह तरीका सही है या नहीं. अगर कुछ सुधार करने की जरूरत होगी, तो हम कर सकते हैं.” जिला इकाइयों को ठीक करने और उनके कामकाज को सुधारने के साथ-साथ कांग्रेस उनकी भूमिका को भी पूरी तरह से बदलने की योजना बना रही है.
खड़गे-राहुल के मन में क्या?
AICC सत्र से पहले खड़गे और राहुल दोनों ने दिल्ली में देशभर के DCC अध्यक्षों से मुलाकात की थी. उस बैठक के बाद राहुल गांधी ने कहा था कि पार्टी अब “जिला अध्यक्षों को पार्टी की नींव बनाने” की उम्मीद कर रही है. सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस अब विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों के चुनाव में भी जिला अध्यक्षों को शामिल करना चाहती है. एक बड़े पार्टी नेता ने कहा, “विचार यह है कि जिला अध्यक्ष केंद्रीय चुनाव समिति (CEC) की बैठकों का हिस्सा बनें जो इन चुनावों के लिए उम्मीदवारों का फैसला करती है… वे स्क्रीनिंग कमेटियों का हिस्सा होंगे और जब उनके जिलों में उम्मीदवारों का फैसला होगा तो उन्हें CEC की बैठकों में बुलाया जा सकता है.”
एक साल के अंदर पार्टी सभी DCC अध्यक्षों के साथ-साथ बूथ, मंडल और ब्लॉक इकाई प्रमुखों की नियुक्ति करना चाहती है. खड़गे ने कांग्रेस सत्र में कहा था, “इन नेताओं (पदाधिकारियों) की नियुक्तियां निष्पक्ष तरीके से और AICC के नियमों के तहत सख्ती से करनी होंगी. उन्हें संगठन बनाना होगा… इसके अलावा, मैं यह कहना चाहता हूं कि जो पार्टी की मदद नहीं कर सकते, उन्हें आराम करना चाहिए.” इन बदलावों के बावजूद AICC का शीर्ष नेतृत्व DCC अध्यक्षों की अंतिम नियुक्ति का अधिकार अपने पास ही रखेगा.
कांग्रेस में हमेशा केंद्रीकरण रहा हावी
गौरतलब है कि कांग्रेस में पार्टी के मामलों का केंद्रीकरण हमेशा से एक बड़ी चिंता का विषय रहा है. साल 2020 में कांग्रेस के ढांचे में बदलाव की मांग करने वाले 23 बड़े नेताओं (जी-23) ने मांग की थी कि DCC अध्यक्षों की नियुक्ति राज्य कांग्रेस इकाइयों को सौंपी जाए. तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे अपने पत्र में उन्होंने लिखा था कि राज्य और जिला स्तर पर नेताओं की नियुक्तियां अक्सर “गैर-जरूरी रूप से देर” होती हैं और राज्य कांग्रेस प्रमुखों को “संगठनात्मक फैसले लेने की आजादी नहीं दी जाती”.
उन्होंने यह भी कहा था कि जिला स्तर की समितियां राज्य की जनसंख्या का सही प्रतिनिधित्व नहीं करतीं और उनके पास फैसले लेने की आजादी नहीं होती. उन्होंने उस समय लिखा था, “भारत के विशाल आकार और विविधता को देखते हुए, संगठन का बहुत ज्यादा केंद्रीकरण और हर चीज पर नियंत्रण हमेशा नुकसानदायक साबित हुआ है. इसलिए, AICC से DCC अध्यक्षों/विभाग और प्रकोष्ठों के पदाधिकारियों की नियुक्ति की प्रथा को तुरंत बंद किया जाना चाहिए. DCC अध्यक्षों की नियुक्ति राज्य की राजधानी से प्रभारी महासचिव द्वारा पीसीसी अध्यक्षों के साथ मिलकर की जानी चाहिए.”
अब देखना यह है कि खुद गुटों में बंटी कांग्रेस, जिलों में संगठन को कितना मजबूत कर पाती है और क्या यह बदलाव पार्टी को विपक्ष की अगुवाई करने लायक बना पाएगा. यह तो समय बताएगा कि कांग्रेस के इस प्लान से उसे कितना फायदा होता है. देखना तो यह भी होगा क्या इस बदलाव के साथ कांग्रेस खुद को देश में एक फिर मजबूत कर पाएगी या नहीं.
Source by [author_name]
Last Updated:May 04, 2025, 01:04 ISTDRDO News Today: डीआरडीओ ने एमपी के श्योपुर में 'स्ट्रेटोस्फेरिक…
Munition India Limited under Defence Ministry : जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुई…
Hindi NewsNationalShirdi Sai Baba Temple Received Fake Bomb Threat, Temple Trust Received Email40 मिनट पहलेकॉपी…
Image Source : GETTY विराट कोहली और रोहित शर्मा आरसीबी की टीम ने रोमांचक मुकाबले…
सिंगापुर सिटी4 मिनट पहलेकॉपी लिंकलॉरेंस वॉन्ग ने 15 मई, 2024 को ली सीन लूंग की…
Last Updated:May 03, 2025, 23:59 ISTIPL 2025: चेन्नई सुपरकिंग्स की टीम रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू के…