नई दिल्ली9 घंटे पहले
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी RBI ने शुक्रवार को ATM विड्रॉल फीस बढ़ाने का ऐलान किया। नोटिफिकेशन के अनुसार, 1 मई से ग्राहकों को मंथली फ्री ट्रांजैक्शन लिमिट पार करने पर हर ट्रांजैक्शन के लिए एडिशनल 2 रुपए का भुगतान करना होगा।
अभी बैंक फ्री ट्रांजैक्शन लिमिट पार करने पर 21 रुपए चार्ज करते हैं। अब 23 रुपए चार्ज करेंगे। इससे पहले RBI ने ATM इंटरचेंज फीस भी बढ़ाने का ऐलान किया था। RBI ने इंटरचेंज फीस भी 2 रुपए बढ़ाई है। यानी अब हर ट्रांजैक्शन पर 19 रुपए इंटरचेंज चार्ज देना होगा, जो पहले 17 रुपए था।
बैलेंस चेक करने के लिए 7 रुपए चार्ज लगेगा वहीं नॉन-फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन-जैसे कि बैलेंस इंक्वायरी के लिए फीस को 1 रुपए बढ़ाया गया है। यानी अकाउंट बैलेंस चेक करने के लिए हर ट्रांजैक्शन पर अब 7 रुपए चार्ज लगेगा, जो पहले 6 रुपए था।
ATM से कितने फ्री ट्रांजैक्शन कर सकते हैं अलग-अलग बैंकों के ATM पर ग्राहकों को हर महीने लिमिटेड नंबर्स में फ्री ट्रांजैक्शन की अनुमति होती है। मेट्रो सिटीज में ग्राहकों को 5 ट्रांजैक्शन की अनुमति दी जाती है, जबकि नॉन-मेट्रो सिटीज में 3 ट्रांजैक्शन की परमिशन है। यदि फ्री ट्रांजैक्शन की संख्या पार हो जाती है, तो ग्राहकों को एडिशनल चार्जेस देना पड़ता है।
ATM इंटरचेंज फीस क्या है?
ATM इंटरचेंज फीस एक ऐसा चार्ज है, जो एक बैंक दूसरे बैंक को ATM सर्विसेज प्रोवाइड करने के लिए देता है। यह फीस आमतौर पर हर ट्रांजैक्शन पर लिया जाने वाला एक फिक्स्ड अमाउंट होता है, जिसे अक्सर ग्राहकों को उनकी बैंकिंग कॉस्ट के हिस्से के रूप में जोड़ दिया जाता है।
ATM ऑपरेटरों की रिक्वेस्ट के बाद RBI ने यह फैसला लिया
RBI ने व्हाइट-लेबल ATM ऑपरेटरों की रिक्वेस्ट के बाद इन चार्जेस को रिवाइज करने का फैसला किया। ATM ऑपरेटरों ने तर्क दिया था कि बढ़ते ऑपरेशनल एक्सपेंस उनके बिजनेस को प्रभावित कर रहे थे।
ATM चार्जेस में बढ़ोतरी पूरे देश में लागू होगी। इससे छोटो बैंकों के ग्राहक प्रभावित हो सकते हैं। ये बैंक ATM इन्फ्रास्ट्रक्चर और इससे जुड़ी सर्विसेज के लिए बड़े फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस पर निर्भर होते हैं। यही वजह है कि बढ़ती लागत का प्रभाव ऐसे बैंकों पर ज्यादा होता है।
डिजिटल पेमेंट्स की वजह से ATM सर्विस पर प्रभाव पड़ा
भारत में डिजिटल पेमेंट्स की वजह से ATM सर्विस पर प्रभाव पड़ा है। ऑनलाइन वॉलेट और UPI ट्रांजैक्शन की सुविधा ने कैश विड्रॉल यानी नकद निकासी की आवश्यकता को काफी कम कर दिया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत में वित्त वर्ष 2014 में 952 लाख करोड़ रुपए की वैल्यू के डिजिटल पेमेंट्स हुए थे। FY23 तक यह आंकड़ा 3,658 लाख करोड़ रुपए तक बढ़ गया था। यह आंकड़े कैशलेस ट्रांजैक्शन की ओर शिफ्ट को दर्शाता है।
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