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14 साल बाद बड़े पर्दे पर दिखीं ईशा देओल.
Starring: अनुपम खेर, ईशा देओल, अदा शर्मा, इश्वाक सिंह और अन्यDirector: विक्रम भट्टMusic: प्रतीक वालिया
हॉरर फिल्में बनाने के लिए मशहूर विक्रम भट्ट ने इस बार ऐसी फिल्म बनाई है जिसकी रिलीज के बाद से ही तारीफ हो रही है. विक्रम भट्ट द्वारा निर्देशित फिल्म ‘तुमको मेरी कसम’ आज यानी 21 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है. ‘तुमको मेरी कसम’ सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि हिम्मत, संघर्ष और सफलता की मिसाल है. यह फिल्म डॉ. अजय मुर्डिया (अनुपम खेर) की जिंदगी पर आधारित है, जिन्होंने इंदिरा IVF की स्थापना कर हजारों निःसंतान दंपतियों को संतान सुख दिलाया.
एक छोटे से क्लिनिक से भारत की सबसे बड़ी IVF चेन बनाने का उनका सफर मेहनत और जिद का जीता-जागता उदाहरण है. यह फिल्म उन सभी के लिए प्रेरणा है, जो मुश्किलों के आगे हार नहीं मानते. फिल्म का सबसे रोमांचक हिस्सा इसका कोर्टरूम ड्रामा है, जहां 62 वर्षीय डॉ. अजय मुर्डिया को अपने ही बनाए इंदिरा IVF को बचाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ती है. उनके पूर्व सहयोगी राजीव खोसला, जो अब लालच और सत्ता के नशे में चूर हैं, उनके खिलाफ खड़े हो जाते हैं. फिल्म धोखा, नैतिकता और न्याय की लड़ाई को जबरदस्त तरीके से दिखाती है.
विक्रम भट्ट, जो अपनी हॉरर और थ्रिलर फिल्मों के लिए जाने जाते हैं, इस बार एक भावनात्मक और सशक्त बायोपिक लाए हैं. ‘गुलाम’, ‘राज’, ‘कसूर’, ‘1920’ जैसी हिट फिल्मों के बाद, उन्होंने इस प्रेरणादायक कहानी को संवेदनशीलता के साथ पेश किया है. फिल्म संघर्ष, न्याय और पारिवारिक मूल्यों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करती है.
अनुपम खेर ने डॉ. अजय मुर्डिया के किरदार में कमाल किया है. ईश्वक सिंह और अदा शर्मा के साथ उनकी स्क्रीन प्रेजेंस भी प्रभावी है. ईशा देओल ने 14 साल बाद बड़े पर्दे पर जोरदार वापसी की है. निडर वकील के रूप में उनकी और अनुपम खेर की कोर्टरूम जुगलबंदी देखने लायक है. फिल्म का संगीत भी दिल को छूने वाला है. प्रतीक वालिया द्वारा रचित संगीत फिल्म की भावनात्मक गहराई को और बढ़ा देता है. विक्रम भट्ट की फिल्मों में संगीत हमेशा महत्वपूर्ण होता है और इस बार भी इमोशनल कनेक्ट बनाए रखने में सफल होता है.
अब बात करें कमियों की तो यह काफी लंबी फिल्म है. अगर मेकर्स इसे थोड़ा छोटा कर देते तो शायद इसका असर फिल्म की गति पर नहीं पड़ता. फिल्म लंबी होने की वजह से इसका फर्स्ट हाफ काफी स्लो है, जिससे बोर हो सकते हैं. अगर मेकर्स इसे छोटा कर देते तो शायद फिल्म की रफ्तार ठीक होती. संक्षेप में, यह असल जीवन की संघर्ष और सफलता की अनोखी कहानी है जिसे पूरे परिवार के साथ देखा जा सकता है. मेरी ओर से फिल्म को 3 स्टार.
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